- दुखद घटना, जो आपको झकझोर देगी :
- मोबाइल की लत – मानसिक बीमारी का संकेत :
- मोबाइल फोन के गंभीर प्रभाव :
- अगर आप मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहते हैं, तो इन आसान उपायों को अपनाएं :
- आखिर में कुछ :
आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी विशिष्टता का अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो उपकरण हमें दिए जाते हैं, वे कभी हमारी जिंदगी के लिए खतरा भी बन सकते हैं? हाल ही में हुई कुछ घटनाओं ने इस डर को और बढ़ाया है।
दुखद घटना, जो आपको झकझोर देगी :
हाल ही में एक घटना सामने आई है, जहां एक भाई ने अपनी बहन की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि उसने उसे मोबाइल गेम से अपमानित किया था। यह घटना मोबाइल की भयानक लत का खतरनाक उदाहरण है।
11वीं कक्षा के छात्र की मोबाइल चलाते समय मौत हो गई। डाक्टरो ने हार्ट अटैक का कारण बताया। इसी तरह, कुछ साल पहले हरियाणा में एक लड़के ने अपनी बड़ी बहन का गला घोंटकर हत्या कर दी थी, क्योंकि उसने उसे मोबाइल गेम में हरा दिया था।
इतना ही नहीं, इसी इलाके में एक बहन ने अपने भाई की हत्या कर दी, क्योंकि वह लगातार मोबाइल पर गेम खेल रही थी और फोन देने से मना कर रही थी।

मोबाइल की लत – मानसिक बीमारी का संकेत :
इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि लोगों का मोबाइल फोन से इमोशनल कनेक्शन इतना मजबूत हो गया है कि यह अब एक मानसिक बीमारी का रूप ले चुका है। ये लत धीरे-धीरे एक डिजिटल डिसऑर्डर में बदल रही है, जिससे लोग कार्डियोलॉजी की तरफ जा रहे हैं।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई की ऐतिहासिक साइकोएक्शन सौम्या कॉर्पोरेशन के अनुसार, मोबाइल की लत आज टॉक्सिक और सिग्मा की लत से भी बड़ी खतरनाक बन गई है। उन्होंने बताया कि जैसे नशे के आदी लोग नशे के बिना नहीं रह पाते, वैसे ही मोबाइल के आदी लोग फोन के बिना एक दिन नहीं गुजार सकते।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में औसतन एक भारतीय दिन के 24 घंटे में से 5 घंटे मोबाइल पर बिताता है । इस मामले में भारत दुनिया के टॉप 10 देशों में शामिल है, जहां लोग सबसे ज्यादा समय मोबाइल स्क्रीन के सामने आते हैं।
मोबाइल फोन के गंभीर प्रभाव :
1. नींद में कटौती और मानसिक संकेत :
- मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से लोगों की नींद पर बुरा असर पड़ रहा है।
- रातभर स्क्रीन देखने से मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव देखा जाता है, जिससे चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ता है।
- अनिद्रा (अनिद्रा) की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
2. ब्लू लाइट का नुकसान :
मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट शरीर के मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन रोकती है, जिससे नींद आने की समस्या होती है। देर रात मोबाइल स्क्रीन देखने से मस्तिष्क को यह संकेत मिलता है कि यह सुबह हो गया है, जिससे नींद प्रभावित होती है।
3. मोबाइल की आदतें और मानसिक विकार :
केलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लेरी रोजन के अनुसार, एक औसत युवा 60 बार से अधिक अपना फोन चित्र लेता है।यह उच्च अभ्यास ध्यान सीखने की क्षमता को ख़त्म कर देता है और निर्णय लेने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
4. रिश्तें पर नकारात्मक प्रभाव :
मोबाइल की लत के कारण लोग परिवार और दोस्तों से दूर हो जाते हैं। व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संवाद की कमी बढ़ रही है, जिससे अकेलापन और डिप्रेशन जैसी समस्या पैदा हो रही हैं। मोबाइल फोन के उपयोग का समय निर्धारित करें.
अगर आप मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहते हैं, तो इन आसान उपायों को अपनाएं :

- मोबाइल के उपयोग का समय निर्धारित करें हर दिन सीमित समय के लिए ही फोन का उपयोग करें।
- सोशल मीडिया डिटॉक्स करें सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना सोशल मीडिया के गुजारे।
- अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। और बाहर घूमने जाएं।
- रात में मोबाइल का इस्तेमाल कम करें सोने से एक घंटा पहले मोबाइल फोन को दूर रख दे।
- हेल्दी रूटीन अपनाएं व्यायाम करें, किताबें पढ़ें और अपनी रुचि के अनुसार समय बिताएं।
आखिर में कुछ :
मोबाइल फोन एक उपयोगी उपकरण है, लेकिन जब इसकी लत लगी होती है, तो यह नशे की तरह घातक हो सकता है। यह केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन पर भी बुरा असर डालता है।
समय रहते हमें इस डिजिटल एडिक्शन से बाहर निकलना होगा और सतर्कता बरतनी होगी होगी । आजकल काम को देखते हुए मोबाइल का इस्तेमाल जरूरी हो सकता है, लेकिन सबसे जरूरी है हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य।
अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए मोबाइल के इस्तेमाल को अपने जीवन पर हावी न होंने दे !”
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जय हिंद, जय भारत !
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