Tariff का पूरा खेल समझे – आसान भाषा में

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टैरिफ एक सरकारी टैक्स होता है, जो किसी देश द्वारा दूसरे देश से आयात किए गए सामान पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य राजस्व कमाना और घरेलू उत्पादों को सुरक्षा देना होता है। यानि जब कोई देश दूसरे देश से कोई चीज़ मंगाता है, तो वह सामान महंगा करने के लिए एक Extra Tax लगता है, जिसे Tariff कहते हैं।

मुख्यतः टैरिफ दो प्रकार के होते हैं। आयात शुल्क यानी Import Tariff जब कोई देश दूसरे देश से सामान मंगवाता है तो सरकार उस पर टैक्स लगाती है । निर्यात शुल्क यानी Export Tariff जब कोई देश किसी दूसरे देश को सामान बेचता हैं तो उस पर टैक्स लगाता है।

टैरिफ का उद्देश्य क्या होता है ?

टैरिफ लगाने के पीछे सरकारों के कई उद्देश्य होते हैं आइए थोड़ा गहराई से समझते हैं।

1. घरेलू उद्योगों की रक्षा करना – अगर चीन से सस्ते खिलौने भारत में आ जाएं, तो भारत के स्थानीय खिलौना व्यापारी बर्बाद हो सकते हैं। इसलिए सरकार चीन के खिलौनों पर टैरिफ लगाती है ताकि घरेलू व्यापारी मुकाबला कर सकें।

2. Revenue अर्जित करना – सरकार को टैक्स से पैसा मिलता है। आयात पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में पैसा आता है।

3. राजनीतिक दबाव बनाना – अगर कोई देश नीति के खिलाफ जाता है जैसे भारत रूस से तेल खरीद रहा है,तो उस देश पर टैरिफ लगाकर दबाव डाला जा सकता है। ये राजनीतिक कारण है ।

4. बैलेंस ऑफ ट्रेड सुधारना – अगर कोई देश ज़्यादा आयात कर रहा है और निर्यात कम, तो टैरिफ लगाकर व्यापार संतुलन सुधारा जा सकता है। चलिए एक उदाहरण के जरिए समझते हैं –

मान लीजिए भारत अमेरिका से एक मोबाइल फोन खरीदता है जिसकी कीमत है 10,000 है ।
भारत सरकार इस पर 20% टैरिफ लगाती है। अब उस मोबाइल की कुल कीमत होगी 10,000 + 2,000 = ₹12,000 अब वही मोबाइल भारत में महंगा बिकेगा, और ग्राहक भारत में बने फोन खरीदने को प्रेरित होंगे।

टैरिफ लगाने से फायदे और नुकसान

एक देश से दूसरे देश के बीच व्यापार पर टैरिफ लगाने के कुछ फायदे और नुकसान होते हैं।
आसान भाषा में समझिए— टैरिफ लगाने के फायदे

1 स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा – जब सरकार आयातित सामान पर टैरिफ लगाती है, तो विदेश से आने वाला सामान महंगा हो जाता है। इससे देश के अपने उद्योगों को प्रतियोगिता से बचाने में मदद मिलती है।

2 सरकार की आय में बढ़ोतरी – टैरिफ से सरकार को टैक्स के रूप में बड़ी कमाई होती है, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जा सकता है।

3 स्थानीय रोज़गार में बढ़ोत्तरी – जब विदेशी सामान महंगा हो जाता है, तो लोग देशी उत्पाद ज्यादा खरीदते हैं। इससे स्थानीय फैक्ट्रियों में उत्पादन बढ़ता है और रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

4 व्यापार घाटा कम करना – विदेशी सामान पर टैरिफ लगाकर आयात कम किया जा सकता है, जिससे देश का व्यापार घाटा घट सकता है।

5 रणनीतिक उद्योगों की रक्षा – रक्षा, ऊर्जा या खाद्य उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को विदेशी निर्भरता से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही टैरिफ लगाने के कुछ नुकसान भी है।

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टैरिफ से विदेशी सामान महंगा हो जाता है, और कभी-कभी स्थानीय उत्पादक भी दाम बढ़ा देते हैं, जिससे आम जनता को महंगाई झेलनी पड़ती है। ज्यादा टैरिफ लगाने से दूसरे देश भी बदले में टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है। अगर विदेशी सामान कम आएगा, तो ग्राहकों के पास चुनने के विकल्प भी कम हो जाएंगे जिससे लोगों के पास कुछ सीमित प्रोडक्ट ही खरीदने के लिए होंगे।

उद्योगों की प्रतिस्पर्धा घट जाना , लंबे समय तक सुरक्षा मिलने से स्थानीय उद्योग आलसी हो सकते हैं और नए उत्पाद या तकनीक लाने की कोशिश कम कर सकते हैं। विकासशील देश के लोगों पर इसका बुरा असर पड़ता है अगर अमीर देश टैरिफ बढ़ा दें, तो गरीब देशों के उत्पाद उनकी मार्केट में बिक नहीं पाते, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है।

दुनिया में टैरिफ का इतिहास

टैरिफ का इतिहास हजारों साल पुराना है, जब प्राचीन सभ्यताएँ अपने व्यापार की रक्षा और राजस्व बढ़ाने के लिए आयात पर कर लगाती थीं। मिस्र, रोम और चीन जैसी सभ्यताओं में टैरिफ का उपयोग न केवल सरकारी खजाना भरने के लिए, बल्कि स्थानीय उद्योग और कारीगरों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए भी किया जाता था। औद्योगिक क्रांति के दौर में यूरोपीय देशों ने टैरिफ को आर्थिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया, जिससे उनके उद्योग तेजी से विकसित हुए। 20वीं सदी में वैश्विक व्यापार समझौतों और WTO विश्व व्यापार संगठन की स्थापना ने टैरिफ को संतुलित करने की दिशा में काम किया, लेकिन आज भी कई देश अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए टैरिफ का सहारा लेते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप का – Tariff War

Tariff Trade tax

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों में टैरिफ बहुत अहम भूमिका में रहे हैं। उन्होंने चीन पर भारी टैरिफ लगाए,यूरोपीय देशों पर ऑटो उद्योग में टैरिफ थोपे और अब 2025 में भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिए। इसका मकसद अमेरिकी उद्योगों को सुरक्षा देना, व्यापार असंतुलन कम करना और रूस से नजदीकी रखने पर भारत को चेतावनी देना हो सकता है ।

टैरिफ एक दो धारी तलवार है। यह घरेलू उद्योग को बचाता है लेकिन इंटरनेशनल व्यापारिक रिश्तों में खटास भी पैदा कर सकता है। ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया टैरिफ केवल एक आर्थिक फैसला नहीं, बल्कि भू राजनीतिक दबाव बनाने की चाल भी है। भारत को समझदारी से जवाब देना होगा ताकि अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत बनी रहे।

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