Phule Movie Collection फिल्म ने की इतनी कमाई पढ़कर सोच में पड़ जाएंगे….

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Phule movie दो महानायको की जीवनगाथा –

Phule Movie Collection – भारत एक अद्भुत देश है, भारत में वर्ण व्यवस्था के कारण समाज के कुछ लोगों को निचले स्तर का मानकर समाज के उच्च लोगों ने एक व्यवस्था के अनुसार अनेक भेदभाव किए हैं जिससे समाज में असंतोष का जन्म हुआ है और इन्हीं भेदभाव को दूर करने के लिए भारत में अनेक महापुरुषों का जन्म हुआ और उन्होंने अपने जीवन काल में संघर्ष किया। महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले दोनों ने समाज में बदलाव के लिए जीवन भर संघर्ष किया 25 अप्रैल 2025 को रिलीज हुई फिल्म फूले 11 अप्रैल 2025 को रिलीज होनी थी

लेकिन समाज में इसके विरोध को लेकर सेंसर बोर्ड ने इस पर रोक लगा दी जिस वजह से यह फिल्म 25 अप्रैल को रिलीज हुई। इस फिल्म के डायरेक्टर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अनंत महादेवन ने किया है। महात्मा ज्योतिबा फुले का रोल प्रतीक गांधी ने निभाया है और वही पत्रलेखा ने महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पत्नी सावित्रीबाई फुले का किरदार निभाया है। फिल्म का पूरा प्रोडक्शन डांसिंग शिवा फिल्म, किंग्समैन प्रोडक्शन और जी स्टूडियो की सहायता से हुआ है।

Phule Movie की कहानी –

19वीं सदी के दो महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन भर किए संघर्षों पर आधारित है। फिल्म में बताया गया है की कैसे पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति को जन्म दिया, कैसे 1848 में उन्होंने पहला महिला स्कूल स्थापित किया, साथ ही उन्होंने समाज के शोषित, वंचित वर्ग के लिए आवाज उठाई और कैसे उस वर्ग के लिए जीवन भर संघर्ष किया। फिल्म निर्माता ने 19वीं सदी के भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को बखूबी दर्शाया है।

Phule Movie पर विवाद और सेंसर बोर्ड –

अगर आपने महात्मा ज्योतिबा फुले को पढ़ा है, तो बखूबी जानते होंगे उनका संघर्ष और समाज में उनका विरोध ! वहां विरोध उनके जीवन काल में था। और एक विशेष वर्ग के लोगों का था। आज भी महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों को लेकर इस फिल्म पर समाज में विवाद हो गया विवाद आज भी एक विशेष समुदाय का है , उसके बाद मामला सेंसर बोर्ड पहुंचा, सेंसर बोर्ड ने फिल्म डायरेक्टर अनंत महादेवन को निर्देश दिया की फिल्म में कुछ सीन्स में बदलाव करके फिल्म को रिलीज कर सकते हैं। वही फिल्म निर्माता अनंत महादेवन ने कहा की ”महात्मा ज्योतिबा फुले का मिशन,, अभी अधूरा है और यह फिल्म समाज में एक प्रेरणादायक संदेश देने का काम करेगी।

Phule Movie Collection

Phule Move क्यों देखें –

फूले मूवी को थिएटर की बहुत ही कम स्क्रीन मिली है। वैसे तो समाज में अनेक फिल्मे बनती है और लोग उन्हें देखते भी हैं, लेकिन बहुत ही कम फिल्में होती हैं जो आपको वाकई में प्रेरणा देती है और कुछ सिखाती हैं, शायद लोगों को ऐसी फिल्में पसंद नहीं है, फूले फ़िल्म भारत के दो महान समाज सुधारकों के जीवन भर संघर्ष की कहानी है। पूरी फिल्म शिक्षा,भारत में सामाजिक न्याय, और समानता को दर्शाती है और उसमें दिखाया गया है कि महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने भारतीय समाज को क्या दिया है ,और उनका आज के भारत में क्या योगदान है। और यह बातें भारत के हर एक युवा और महिलाओं को जाननी चाहिए,
ऐसी फिल्म जरूर देखनी चाहिए, यह फिल्म भारतीय समाज पर आधारित है, हमारी राय यही है कि बिना किसी भेदभाव इस फिल्म को देखें और अपने जीवन में प्रेरणा का आधार बनाएं।

Phule Move Collection…

फिल्म ने अपने पहले दिन में लगभग 21 लाख का कलेक्शन किया था जो की प्रतीक गांधी की पिछली फिल्म दो और दो प्यार के पहले दिन की कमाई 80 लाख से लगभग 74% कम था, फूले मूवी जैसी फिल्म जो समाज को आइना दिखाने के लिए बनी है उसको देखते हुए पहले दिन का कलेक्शन काफी कम हुआ था। और अगर हम बात करें फूले मूवी के कुल कलेक्शन की तो फिल्म कुल 6.4 करोड़ की कमाई कर पाई जबकि फिल्म का कुल बजट 29 करोड़ था।

अगर ऐसी फिल्मों की कमाई इतनी कम होगी, जो समाज को आईना दिखाने के लिए बनती है तो फिर शायद ही कोई प्रोड्यूसर ऐसी फिल्म बनाने की हिम्मत करेगा, इससे पता चलता है कि समाज किस तरफ जा रहा है।

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आखिर में कुछ –

महात्मा ज्योतिबा फुले – सावित्रीबाई फुले कोई बायोपिक नहीं है। बल्कि भारतीय सामाजिक आंदोलन की कहानी है जो आज भी हमारे समाज में विरोध का सामना कर रही है , यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि समाज में शिक्षा और समानता के लिए संघर्ष आज भी जारी है। समाज को लगातार समाज में समानता और शिक्षा के लिए संघर्ष करते रहना होगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ सकता है। नमन है उन महापुरुषों को जिन्होंने जीवन भर संघर्ष किया, सावित्रीबाई फुले जिन्होंने महिला शिक्षा के लिए घोर विरोध का सामना किया, लेकिन फिर भी उन्होंने विरोध की परवाह न करते हुए महिलाओं को शिक्षा देने का काम किया, महिलाओं की सफलता में उनका बहुत बड़ा हाथ है।

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