भारत की राजधानी New Delhi हमेशा सुर्खियों में रहती है। कभी राजनीति की वजह से, तो कभी ऐतिहासिक इमारतों के कारण। इस बार चर्चा में है देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का वह घर, जिसमें उन्होंने अपने शुरुआती दिन गुज़ारे थे। यह बंगला अब बिक चुका है, और वो भी छोटी-मोटी रकम में नहीं, बल्कि 1100 करोड़ रुपये में।
New Delhi का यह बंगला क्यों खास है ?
आज़ादी के बाद जब भारत को नया रूप दिया जा रहा था, तब New Delhi में बने इस बंगले को नेहरू जी का आधिकारिक घर बनाया गया। यहीं से आज़ाद भारत की पहली नीतियां बनीं। यहीं बैठकर नेहरू ने दुनिया से भारत की दोस्ती और भविष्य की दिशा तय की। यह बंगला सिर्फ़ एक घर नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की यादों का हिस्सा था।
इतिहासकारों के अनुसार, इस घर की दीवारें आज़ाद भारत के कई अहम फैसलों की गवाह रही हैं। इसलिए यह बंगला सिर्फ़ ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि देश की विरासत भी है।
1100 करोड़ की डील: कैसे बना यह घर चर्चा का विषय ?
हाल ही में खबर आई कि यह बंगला 1100 करोड़ रुपये में बिक गया। यह डील देश की रियल एस्टेट दुनिया की सबसे बड़ी डील्स में से एक मानी जा रही है। यह घर New Delhi के लुटियंस ज़ोन में स्थित है, जो देश का सबसे महंगा इलाका माना जाता है। यहां की प्रॉपर्टी दुनिया के अमीर लोगों और बड़े बिज़नेसमैन की पहली पसंद रहती है। इसी वजह से इस घर की कीमत आसमान छू गई और यह सौदा रिकॉर्ड बना गया। रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि लुटियंस ज़ोन में ज़मीन का दाम लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि यहां बने हर घर की कीमत अरबों तक पहुंच जाती है।

पंडित नेहरू के सरकारी घर की डील – फोटो Getty Image
मालिकाना हक और सौदे की असली कहानी
इतिहास और राजनीति से जुड़े इस बंगले का मालिकाना हक राजकुमारी कक्कड़ और बीना रानी का है। जो की राजस्थान के एक पुराने शाही परिवार से हैं। शुरुआती दौर में यह घर सरकारी रिहाइश के तौर पर दर्ज था, लेकिन बाद में इसे निजी स्वामित्व के रूप में खरीदा गया।बताया जा रहा है कि पिछले लगभग 1 साल से एक लीगल फॉर्म इस प्रॉपर्टी की तहकीकात कर रही है। हाल ही में एक नोटिस जारी किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति का इस प्रॉपर्टी पर कोई भी हक है तो वह एक हफ्ते के अंदर लिखित और अन्य सबूत के साथ हमें सूचित करें अन्यथा यह माना जाएगा कि इस प्रॉपर्टी पर किसी का कोई अधिकार नहीं है।
इस संपत्ति का दायरा 14,973.383 वर्ग मीटर है । प्रॉपर्टी मालिकों ने शुरू में 1400 करोड़ रुपये की डिमांड रखी थी, लेकिन लंबे नेगोशिएशन के बाद यह सौदा 1100 करोड़ रुपये में फाइनल हुआ। इस ऐतिहासिक प्रॉपर्टी को खरीदने वाले बिजनेसमैन बेवरेज इंडस्ट्री का एक जाना माना नाम है। जो लुटियंस ज़ोन में कई और प्रॉपर्टी पहले से ले चुका है। यह सौदा न सिर्फ़ पैसों की वजह से सुर्खियों में आया, बल्कि इसलिए भी कि यह घर भारत की विरासत से जुड़ा हुआ है।
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क्या हमारी विरासत बाज़ार में खो रही है ?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तरह की ऐतिहासिक जगहों को बेचना सही है?
नेहरू जी का यह घर हमारे इतिहास और यादों का हिस्सा था। अगर ऐसे घर निजी हाथों में चले जाएंगे तो आने वाली पीढ़ियां इन्हें सिर्फ़ किताबों और फोटो में ही देख पाएंगी। क्या सरकार को ऐसे घरों को हेरिटेज प्रॉपर्टी घोषित करके सुरक्षित नहीं करना चाहिए ?
New Delhi तेजी से बदल रहा है। पुरानी हवेलियां और ऐतिहासिक बंगले अब आधुनिक इमारतों और बिज़नेस हब में बदलते जा रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि इन घरों से जुड़ी कहानियां और यादें देश की धरोहर हैं, जिन्हें संभालना बेहद ज़रूरी है।
नेहरू जी का यह घर हमें याद दिलाता है कि New Delhi सिर्फ़ एक आधुनिक शहर नहीं, बल्कि हमारे इतिहास का आईना भी है। 1100 करोड़ की इस डील ने यह साबित कर दिया कि आज की तारीख़ में विरासत से ज़्यादा कीमत और प्रॉपर्टी का मूल्य मायने रखता है। सवाल यही है कि क्या आने वाली पीढ़ियों को हम सिर्फ़ कागज़ और तस्वीरों में इतिहास देंगे, या फिर ज़िंदा धरोहरों को भी बचाकर रख पाएंगे ?
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