Loan Recovery News : उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक माइक्रो फाइनेंस के मैनेजर ने लोन की किश्त वसूलने के लिए एक महिला को पांच घंटे तक बंधक बनाए रखा। आरोप है कि माइक्रो फाइनेंस के मैनेजर ने महिला के पति से साफ कहा पहले किश्त दो, फिर पत्नी को ले जाओ।
यह घटना न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोरती है, बल्कि लोन रिकवरी के नाम पर हो रहे अत्याचारों और कानून के खुले उल्लंघन की तरफ भी इशारा करती है।
Loan Recovery News पूरा मामला..
इस शर्मनाक घटना का खुलासा झांसी के एक लोकल व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करके किया और इस खबर के बारे में न्यूज़ चैनल TV9, नवभारत टाइम्स आदि ने भी लिखा है । वीडियो में एक महिला अपने बच्चों को गोद में लिए हुए हैं और उसका पति बता रहा है कि उन्होंने एक माइक्रोफाइनेंस से समूह लोन लिया था और अभी तक पूरी 11 किस्ते दे चुका है लेकिन माइक्रो फाइनेंस कंपनी के मैनेजर का कहना है कि आपकी तरफ से हमें सिर्फ 7 किस्ते ही प्राप्त हुई है, इसी बात को लेकर माइक्रोफाइनेंस कंपनी के मैनेजर ने उनकी पत्नी को बंधक बना लिया और कहा किस्त जमा कर देना और अपनी पत्नी को ले जाना अगर ऐसा नहीं करते तो रस्सी लेकर पास के कमरे में फांसी लगा लो । पीड़ित व्यक्ति का कहना है कि उसने 112 पर कॉल की और पुलिस ने आकर उनकी बीवी को छुड़ाया। यह पूरी बात वह व्यक्ति उस वीडियो में बता रहा है जो हमें सोशल मीडिया पर मिला। माइक्रोफाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों द्वारा ऐसी गैर कानूनी हरकत करना पूर्ण रूप से भारतीय कानून व्यवस्था का मजाक है। और RBI को उस माइक्रो फाइनेंस कंपनी पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

पीड़ित का परिवार- Photo – aajtak.com IGT
लोन रिकवरी या गुंडागर्दी ?
भारत में माइक्रो फाइनेंस और छोटे कर्जों की व्यवस्था गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए की गई थी ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। लेकिन लोन एजेंट्स द्वारा डराने-धमकाने, मानसिक उत्पीड़न और अब बंधक बनाने तक की घटनाएं सवाल खड़े कर रही हैं।
इस घटना में माइक्रो फाइनेंस कम्पनी के कर्मचारियों ने महिला को लगभग पांच घंटों तक बंधक बनाए रखा और पति से किश्त जमा करने का दबाव बनाया। यह गतिविधि सीधे तौर पर मानवाधिकार और भारतीय कानूनों का उल्लंघन है।
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RBI के नियम क्या कहते हैं ?
भारतीय रिजर्व बैंक – RBI ने रिकवरी एजेंट्स के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं, जिनमें कहा गया है : रिकवरी एजेंट्स उपभोक्ता से सम्मानजनक व्यवहार करें। वसूली के लिए कोई मानसिक या शारीरिक दबाव नहीं बनाया जा सकता। वसूली का समय सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक सीमित है। ग्राहक की प्राइवेसी और गरिमा का ध्यान रखना अनिवार्य है। आदि। लेकिन झांसी की घटना में ये सभी दिशा-निर्देश खुलेआम नजरअंदाज किए गए हैं।
कानूनी नजरिए से क्या है मामला ?
BNS की धारा 127 जो पहले IPC की धारा 340 थी के अनुसार गलत तरीके से किसी को बंधक बनाना दंडनीय अपराध है। और अगर कोई भी ऐसा करता है तो BNS की धारा 127 के तहत उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और सजा दी जाएगी।
अगर कोई व्यक्ति विशेष डराने, धमकाने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने जैसी गैर कानूनी हरकत करता है तो उसके खिलाफ BNS 351 (2) (3) 352 के अनुसार कानूनी कार्रवाई होगी ।
झांसी पुलिस को मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच और कार्रवाई करनी चाहिए।
पीड़ित परिवार की हालत
पीड़ित परिवार ने समूह लोन कंपनी से 40000 का लोन लिया था वह ड्राइवर है। और बेहद गरीब है और पहले से ही कर्ज़ के बोझ तले दबा हुए है । अब इस मानसिक उत्पीड़न ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया है। महिला ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उसने कभी नहीं सोचा था कि लोन लेना उसकी इज्जत और आज़ादी को खतरे में डाल देगा।
समाज के लिए चिंताजनक इशारा
इस घटना ने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं क्या अब गरीबों के लिए लोन लेना जोखिम भरा सौदा बन चुका है ? क्या प्राइवेट बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियां खुद को कानून से ऊपर समझ रही हैं? और क्या सरकार और आरबीआई इन मामलों पर कोई ठोस कार्रवाई करेगी ?
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