Last Love Letter : एक पत्र जो आपके दिल को छू जायेगा!

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A Hurt Touching Letter

Last Love Letter- एक शांत सी दोपहर थी, घर की दीवारों पर चुप्पी पसरी हुई थी। हॉल में एक अकेला आदमी अपनी पुरानी यादों में खोया हुआ था। उसकी आंखों के सामने बीते कुछ हफ्तों की एक एक तस्वीर घूम रही थी – अस्पताल के वो दिन, दवाइयों की महक, डॉक्टरों की चिंता भरी बातें और फिर… वो अंतिम विदा।

पत्नी को गुज़रे हुए पंद्रह दिन बीत चुके थे। रिश्तेदारों का आना-जाना अब खत्म हो चुका था चाय के कपों की खनक, धीरज बंधाने वाले शब्द, और ज़िंदगी की दोहराई जाने वाली बातें अब पूरी तरह से थम चुकी थीं। अब रह गया था तो बस एक गहरा सन्नाटा और उस सन्नाटे में डूबा हुआ उसका अकेलापन।

उसी कमरे में बैठा जब वह पुरानी अलमारी की दराज़ें टटोल रहा था, तभी उसे एक पुराना सा लिफाफा मिला – उस पर उसकी पत्नी की लिखावट थी।

Last love letter

पत्र की शुरुआत

” प्रिय पतिदेव,,

जब आप ये पत्र पढ़ रहे होंगे, तब शायद मैं आपके पास न रहूं। हाँ, मुझे पता चल चुका है कि मुझे कैंसर है – और वो भी आख़िरी स्टेज का। डॉक्टरों की आंखें मुझसे ये राज़ छुपा नहीं सकीं।”

मुझे सब पता है कैसे उसके इलाज के लिए घर के गहने बिक गए , बैंक में जमा सारा पैसा खत्म हो गया और वो प्लॉट जिसे हमने मिलकर खरीदने का सपना देखा था वो भी चला गया।

आप मुझसे छुपा रहे हो, मगर मैं आपकी पत्नी हूँ। 12 साल की जिंदगी बिताई है आपके साथ। आपके चेहरे की हर शिकन पढ़ सकती हूँ। जब आप अकेले में रोते हो, तो मुझे भी रोना आता है – मगर मैं आपको देख भी नहीं सकती, छू भी नहीं सकती। कमबख्त ये जिंदगी हमें किस मोड़ पर ले आई है। एक दूसरे का दर्द भी नहीं बांट सकते। आप समझते हैं आपको रोता देख मैं कमजोर पड़ जाऊंगी, और यहां मैं नहीं चाहती कि आप कमजोर पड़े कितनी बेगानी हो गई हो मैं ? आपकी उदासी का कारण भी नहीं कर सकती।

शायद अब सिर्फ दो दिन की मेहमान हूँ मिलने वाले लोग रोज़ आ रहे हैं। सबके चेहरे पर वही चिंता, लेकिन यह कैसा बुलावा है जिसका मुझे पहले से पता है। मुझे मरने से डर नहीं लगता डर लगता है कि आप कैसे सह पाओगी मेरी जुदाई ?

आप घर आते ही मुझे तलाश करते हो। मगर अब मैं घर नहीं मिलूंगी। कलेजा मजबूत कर लेना, जानती हूं बहुत मुश्किल होगा आपके लिए मुझे भुलाना। 2 दिन मायके चली जाती हूं तो पीछे-पीछे चले आते हो अब तो हमेशा के लिए बुलावा आ गया है हाथ और साथ दोनों छोड़कर जा रही हूं।

मगर आप हिम्मत मत हारना बच्चे अभी बहुत छोटे हैं । उनसे कहना, मम्मी भगवान के पास गई है… जल्दी वापस आएगी। उनकी मासूमियत में झूठ भी सच्चा लगेगा। मेरे जाने के बाद बिल्कुल भी मत रोना ,कलेजे को पत्थर कर लेना ,आप मुझसे कहा करते थे ना कि मैं बहुत डरपोक हूं बात-बात पर रो पड़ती हूं, अब देखो ना आपकी पत्नी कितनी मजबूत हो गई है दुनिया से विदा होने वाली है रात दिन दर्द को लेकर जी रही है मगर एक बार भी नहीं रोई।
सफर बहुत छोटा रहा, मगर क्या करूं अब साथ नहीं दे पाऊंगी।

इतना प्यार देने के लिए शुक्रिया मेरे सारे नौकरी उठाने के लिए शुक्रिया, मुझे टूट कर चाहने के लिए शुक्रिया, जानती हूं आपको मेरी लत लगी हुई है भूलाना बहुत मुश्किल होगा। मैं रोज आसमान से देखा करूंगी, टाइम पर नहाना टाइम पर खाना खा लेना क्योंकि आपको यह सब याद दिलाने के लिए आपकी पत्नी अब नहीं होगी, अब मैं ना रहूंगी। अब आलस करना बिलकुल छोड़ देना जब तक मैं थी अब घर की हर चिताओं से फ्री थे दोनों बच्चों की तरह आपका भी ख्याल रखना पड़ता था, मगर अब आप बच्चा बनना छोड़ देना। क्योंकि आपको मनाने के लिए अब आपकी पत्नी नहीं रहेगी अब टूटना भी छोड़ देना क्योंकि आपकी हिम्मत बनाने के लिए आपकी पत्नी नहीं होगी, ए जिंदगी तेरे सफर में इतनी गम क्यों है।

जो जीना ही नहीं चाहते उनकी उम्र तो बहुत लंबी है मगर जो जीना चाहते हैं उनकी सांसे इतनी कम क्यों है, ए जिंदगी अब और नहीं लिखा जाता हाथों में दम नहीं है फिर भी लिख रही हूं आप 2 दिन से सोए नहीं थे इसलिए आज गहरी नींद में सो रहे हो मुझे लिखने का समय मिल गया मगर अब मैं लिखना बंद करके आपको जी भरकर निहारना चाहती हूं। पता नहीं सुबह उठो या नहीं।

पत्र की आखिरी लाइनें पढ़ते हुए कलेजा कांप गया :

आज मैं तुम्हारे सीने पर सर रखकर सोना चाहती हूँ। आपकी धड़कनों में खोना चाहती हूं, शायद ये मेरी जिंदगी की आख़िरी नींद हो। पता नहीं सुबह उठूं या न उठूं…….,,

ये कोई कहानी नहीं है, किसी की सच्ची ज़िंदगी की हकीकत है । एक पत्नी का अपने पति के लिए लिखा गया आख़िरी संदेश – जिसमें प्यार भी था, संवेदना भी संघर्ष भी और सबसे बढ़कर था — अलविदा कहने का साहस ।इस पत्र को पढ़कर सिर्फ उसका नहीं, हर पाठक का दिल भीग जाएगा। कभी-कभी शब्दों में वो ताक़त होती है जो सालों की खामोशी से ज़्यादा बोल जाते हैं ।

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