Golden Dome System Full Details
दुनिया तेजी से बदल रही है, और इसी बदलाव के साथ हर देश अपनी सुरक्षा को लेकर पहले से ज्यादा चौकन्ना हो गया है। अमेरिका अपनी पावर को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। अपनी पावर को और मजबूत करने के लिए अमेरिका ने मई 2025 में एक ऐतिहासिक कदम उठाया – Golden Dome Defense System। यह अमेरिका का पहला ऐसा डिफेंस सिस्टम है, जो अंतरिक्ष से काम करेगा। आईए गहराई से समझते हैं कि Golden Dome आखिर है क्या, कैसे काम करेगा, और इसके पीछे अमेरिका की रणनीति क्या है।
क्या है Golden Dome ?
Golden Dome अमेरिका एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का एक पावरफुल डिफेंस सिस्टम है, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई 2025 में लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य अमेरिका को दुश्मनों के मिसाइल हमलों से बचाना है, खासकर रूस, चीन, उत्तर कोरिया और अन्य देशों से आने वाले खतरों से।
यह टेक्नोलॉजी इजराइल के Iron Dome की तरह डिजाइन की गई है, लेकिन इसकी क्षमता उससे कहीं ज्यादा बड़ी है। Golden Dome अंतरिक्ष में काम करता है। इसमें सैकड़ों सेटेलाइट्स और इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं, जो दुश्मन की मिसाइलों को उनकी लॉन्चिंग साइट पर या उड़ान के दौरान ही तहस नहस कर सकते हैं।
इस प्रोजेक्ट को U.S. Space Force के जनरल माइकल गेटलाइन लीड कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह टेक्नोलॉजी अमेरिका की सुरक्षा के लिए गेमचेंजर साबित होगी।
Golden Dome कैसे करेगा काम ?

इंटरसेप्शन कैपेसिटी – Golden Dome के सैकड़ों सैटेलाइट स्पेस में हर समय एक्टिव रहेंगे। ये सैटेलाइट्स किसी भी मिसाइल के लॉन्च होते ही उसे ट्रैक करेंगे और तुरंत इंटरसेप्टर मिसाइल से जवाब देंगे।
रडार और ट्रैकिंग – यह टेक्नोलॉजी अमेरिका के रडार नेटवर्क और अंतरिक्ष निगरानी टेक्नोलॉजी के साथ काम करेगी। अगर कोई मिसाइल अमेरिका की ओर आती है, तो Golden Dome उसे तुरंत पहचान लेगा और खतरे को टाल देगा।
रियल-टाइम कमांड – Golden Dome का कंट्रोल एक हाई-सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर से होगा, जहां अमेरिकी मिलिट्री के एक्सपर्ट्स हर एक्टिविटी पर नजर रखेंगे।
Golden Dome की लागत और समय सीमा
Golden Dome जैसे हाई-टेक प्रोजेक्ट पर बहुत बड़ा खर्च आता है। इसके शुरुआती बजट का अनुमान लगभग $175 बिलियन लगाया गया है, यानी भारतीय करंसी में 14,52,500 करोड़ रुपए। शुरुआती काम के लिए $25 बिलियन ( 207500 करोड) का फंड पहले ही अमेरिकी बजट में शामिल कर लिया गया है।
हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस के बजट कार्यालय के अनुसार, अगले 20 वर्षों में इस प्रोजेक्ट की कुल लागत बढ़कर $542 बिलियन तक पहुंच सकती है। यानी भारतीय रुपए में देखें तो 44 लाख 98 हजार 600 करोड़ रूपये ! यह अमेरिका के इतिहास की सबसे महंगी रक्षा परियोजनाओं में से एक है।
Golden Dome में कनाडा का रोल
Golden Dome को सफल बनाने में कनाडा की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। दरअसल, उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र से आने वाली मिसाइलों को पहचानना और ट्रैक करना आसान नहीं होता। ऐसे में कनाडा का भूगोल और उसकी रडार सिस्टम इस प्रोजेक्ट के लिए बेहद जरूरी है।
हालांकि, कनाडा की सरकार ने अब तक इस प्रोजेक्ट में शामिल होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। इस पर अभी चर्चा चल रही है।
Golden Dome को लेकर विश्व की आलोचनाएं और चिंताएं
Golden Dome प्रोजेक्ट को लेकर दुनिया भर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
चीन ने इस प्रोजेक्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि यह पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता है। उनका कहना है कि इससे अंतरिक्ष को एक नया युद्धक्षेत्र बना दिया जाएगा और वैश्विक हथियारों की दौड़ को बढ़ावा मिलेगा।
कई सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी महंगी परियोजना में तकनीकी दिक्कतें आ सकती हैं। जैसे – सैटेलाइट्स का सही तरीके से काम ना करना, इंटरसेप्शन की सटीकता, और सिस्टम की सुरक्षा।
साथ ही, यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या इतनी बड़ी लागत और समय इन्वेस्ट करने के बावजूद यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह सफल हो पाएगी ?
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Golden Dome का भविष्य
Golden Dome अमेरिका के डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह बदल देने वाला प्रोजेक्ट है। अगर यह योजना सफल होती है, तो अमेरिका अपनी सीमाओं से हजारों किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के हमलों को नाकाम कर पाएगा। यह एक अद्वितीय रक्षा कवच के रूप में अमेरिका को एक नया आत्मविश्वास और बेहतरीन सुरक्षा देगा।
Golden Dome सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाला प्रोजेक्ट है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ सालों में यह योजना कितनी सफल होती है और इसका विश्व की सुरक्षा और संतुलन पर क्या असर देखने को मिलता है।
अमेरिका ने गोल्डन डोम प्रोजेक्ट पर कदम बढ़ा दिया है, अब पूरी दुनिया की नजरें इस प्रोजेक्ट पर हैं – क्या Golden Dome सच में अमेरिका की अजेय डिफेंस सिस्टम बन पाएगा, या सिर्फ एक महंगी कोशिश बनकर रह जाएगा? यह यह तो समय ही बताएगा !
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