Dr Ambedkar और दुनिया में अंबेडकरवादी विचारधारा का स्थान

Dr Ambedkar imageDr Ambedkar and AmbedkarwadPhoto - Sutterstock
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Dr Ambedkar in The World- जब भी हम समानता, न्याय और स्वतंत्रता की बात करते हैं तो सबसे पहले जिस महान विभूति का नाम ज़ेहन में आता है, वह हैं भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर। डॉ. अंबेडकर केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आज उनकी विचारधारा पूरी दुनिया में मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की सबसे मज़बूत आवाज़ बन चुकी है।

अंबेडकरवाद Ambedkarism केवल एक राजनीतिक विचारधारा नहीं, बल्कि एक वैश्विक चेतना है, जिसने जाति, रंग, नस्ल और असमानता के खिलाफ लड़ने वालों को रास्ता दिखाया। आइए विस्तार से समझते हैं कि दुनिया में अंबेडकरवादी विचारधारा कितनी शक्तिशाली है आज किस तरह फैली है और क्यों यह मानवता की सबसे बड़ी आवाज़ बन चुकी है।

अंबेडकरवादी विचारधारा का मूल आधार

डॉ. अंबेडकर की सोच चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित थी

1. समानता Equality हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिले।
2. स्वतंत्रता Liberty सोचने, जीने और चुनने की आज़ादी।
3. बंधुता Fraternity समाज में भाईचारा और परस्पर सम्मान।
4. न्याय यानी Justice सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।

डॉ. अंबेडकर ने कहा था
“Educate, Agitate, Organize” यानी शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।
ये तीन मंत्र आज पूरी दुनिया में Ambedkarite movements की आत्मा बन चुके हैं।

भारत में अंबेडकरवाद

भारत में अंबेडकरवादी आंदोलन ने दलित जागरूकता, आरक्षण व्यवस्था, सामाजिक न्याय की राजनीति और बौद्ध धर्म की ओर परिवर्तन जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म दिया।

डॉ. अंबेडकर ने जातिवाद और छुआछूत को चुनौती दी। यही सोच बाद में दलित पैंथर्स और बहुजन आंदोलन का आधार बनी। भारत का संविधान, जिसे अंबेडकर ने गढ़ा, आज सामाजिक न्याय की सबसे मज़बूत नींव है। और धर्मांतरण 1956 में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाने से अंबेडकर ने दिखाया कि सामाजिक मुक्ति का रास्ता धार्मिक क्रांति से भी होकर जाता है।

दुनिया में अंबेडकरवादी विचारधारा

अमेरिका USA – Martin Luther King Jr. और अमेरिकी Civil Rights Movement पर आंबेडकर के विचारों का असर पड़ा। वही Black Lives Matter जैसे आंदोलनों में आज भी Ambedkar के उद्धरण इस्तेमाल होते हैं। अफ्रीका- अफ्रीकी देशों में जहाँ रंगभेद Apartheid था, वहाँ Ambedkar को एक प्रेरणा स्त्रोत माना गया। और दक्षिण अफ्रीका में Nelson Mandela की लड़ाई को भी अंबेडकरवादी दर्शन से जोड़ा जाता है।

यूरोप- लंदन, बर्लिन और पेरिस की यूनिवर्सिटीज़ में आज Ambedkar Studies पढ़ाई जाती है। और London School of Economics जहाँ डॉ. अंबेडकर ने पढ़ाई की वहां उनकी प्रतिमा और शोध केंद्र मौजूद है। जापान और कोरिया – यहाँ के बौद्ध समुदाय ने डॉ. अंबेडकर को आधुनिक बोधिसत्व माना।वही जापान के विद्वान डॉ अंबेडकर को 20वीं सदी का सबसे बड़ा सामाजिक सुधारक मानते हैं।

ऑस्ट्रेलिया और कनाडा – इन देशों में रहने वाले भारतीय प्रवासी समाज में Ambedkarite organizations सक्रिय हैं। हर साल 14 अप्रैल Ambedkar Jayanti को बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

डिजिटल युग में अंबेडकरवाद

सोशल मीडिया और इंटरनेट ने अंबेडकरवादी विचारधारा को और अधिक वैश्विक पहचान दिलाई है। Twitter, Facebook और Instagram पर #JaiBhim #Ambedkarite #EducateAgitateOrganize जैसे हैशटैग दुनिया भर में ट्रेंड करते रहते हैं। आज YouTube और ब्लॉग्स पर Ambedkarite scholars अपने विचार शेयर कर रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में Ambedkar Chair for Social Justice जैसी academic positions बनाई गई हैं।

Dr Ambedkar और अंबेडकरवाद आज

आज जब दुनिया जाति, नस्ल, धर्म और लैंगिक भेदभाव जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, Ambedkarism एक Universal Philosophy बनकर उभर रहा है। यह सिर्फ़ भारत के दलितों या पिछड़े वर्गों तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस समुदाय की आवाज़ है जो असमानता का शिकार है। संयुक्त राष्ट्र UN में भी Ambedkar को Global Symbol of Social Justice कहा गया है।

अंबेडकरवादी विचारधारा अब केवल एक भारतीय सामाजिक आंदोलन नहीं रही, बल्कि यह दुनिया की सबसे बड़ी मानवाधिकार विचारधारा बन चुकी है। भारत में इसने दलितों, पिछड़ों और वंचितों को आत्म-सम्मान दिया। दुनिया में अंबेडकरवादी विचारधारा ने रंगभेद, नस्लभेद और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ने वालों को नया रास्ता दिखाया।

आज अगर दुनिया समानता और न्याय की ओर बढ़ रही है, तो इसमें डॉ. अंबेडकर और उनकी विचारधारा का योगदान अमिट है। यही कारण है कि 21वीं सदी में Ambedkarism को दुनिया की सबसे प्रासंगिक और शक्तिशाली विचारधारा माना जा रहा है।

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