- दिवाली का महत्व…
- दिवाली 2024 की तारीख…
- काशी के पंडितों द्वारा शुभ मुहूर्त…
- दिवाली की तैयारी…
- घर की सजावट
- निष्कर्ष…
Diwali 2025 – जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, और यह प्रकाश का, अच्छे का बुराई पर विजय का और समृद्धि का प्रतीक है। 2025 में, दिवाली 17 और 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी, और इस दिन काशी के पंडितों द्वारा शुभ मुहूर्त का भी निर्धारण किया गया है।
दिवाली का महत्व…
दिवाली का त्योहार हिन्दू धर्म में कई मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इसे मुख्य रूप से भगवान राम के अयोध्या लौटने, भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने और माता लक्ष्मी के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को दीपों, रंगोली और सजावट से सजाते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है, जिससे समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाती है।
Diwali 2025 की तारीख…
दिवाली 2025 में 17 और 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी, यह दिन अमावस्या का है, जो विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन के लिए महत्वपूर्ण है। अमावस्या की रात को अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, और इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
काशी के पंडितों द्वारा शुभ मुहूर्त…
काशी के पंडितों ने दिवाली के लिए विशेष शुभ मुहूर्त की घोषणा की है। 2025 में लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ समय शाम 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष ध्यान देना चाहिए कि पूजा के सभी विधियों का पालन किया जाए।
शुभ मुहूर्त का विवरण :
- लक्ष्मी पूजा का समय : शाम 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त : यदि कोई विशेष कार्य करना हो, तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:30 बजे से 12:15 बजे के बीच है।
दिवाली की तैयारी…
दिवाली की तैयारी आमतौर पर एक महीने पहले से शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, पुराने सामानों को निकालते हैं और नए सामान की खरीदारी करते हैं। इस दौरान रंगोली बनाना, दीपों की सजावट और घर को अच्छे से सजाना शामिल होता है।
घर की सजावट
- दीपक और मोमबत्तियाँ: घर के विभिन्न स्थानों पर दीयों और मोमबत्तियों को सजाना चाहिए। ये न केवल रोशनी देते हैं, बल्कि शुभता का भी प्रतीक होते हैं।
- रंगोली: घर के दरवाजे पर रंगोली बनाना एक पुरानी परंपरा है। विभिन्न रंगों के फूलों, चावल और रंगीन पाउडर का उपयोग करके आकर्षक रंगोली बनाई जाती है।
- फूलों की सजावट: घर में फूलों की सजावट करने से वातावरण में खुशबू फैलती है और यह एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
पूजा की तैयारी…
- पूजा सामग्री : लक्ष्मी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की एक सूची तैयार करें, जिसमें मिठाई, फल, फूल, कुमकुम, हल्दी, दीपक, और अन्य पूजा सामग्री शामिल हैं।
- पूजा स्थान की सजावट : पूजा स्थल को साफ करके उसे फूलों और दीपों से सजाएं। यहाँ एक सुंदर वस्त्र बिछाना भी अच्छा होता है।
- मंत्रों का उच्चारण : लक्ष्मी माता की पूजा के दौरान उचित मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए, जिससे पूजन का लाभ और भी बढ़ जाता है।
दिवाली की परंपराएँ…
दिवाली के दिन विशेष परंपराएँ और रीति-रिवाज होते हैं, जो इस त्योहार की रौनक को बढ़ाते हैं:
- दिवाली की मिठाइयाँ : इस दिन घरों में विशेष मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। लोग एक-दूसरे को मिठाईयां बांटते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं।
- पटाखे फोड़ना : दिवाली पर पटाखे फोड़ने की परंपरा भी है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। हालांकि, इस समय पर्यावरण का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
- नव वर्ष का स्वागत : कई क्षेत्रों में, दिवाली का त्योहार नए वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। यह व्यापारियों के लिए भी महत्वपूर्ण समय होता है, जब वे अपने नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं।
निष्कर्ष…
दिवाली का त्योहार सिर्फ एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा समय है जब परिवार और मित्र एक साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। 2025 में, जब हम17 और 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी तो यह सुनिश्चित करें कि आप शुभ मुहूर्त का पालन करें और सभी पारंपरिक रीतियों का पालन करें। घर को साफ-सुथरा रखें, लक्ष्मी माता का पूजन करें, और अपने आसपास के लोगों के साथ खुशी बाँटें। इस दिवाली, प्रकाश और समृद्धि आपके जीवन में प्रवेश करें।
आपकी दिवाली खुशहाल और समृद्ध हो!
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