Baudh Dharma In India- भारत की धरती अनेक धर्मों और विचारधाराओं की जननी रही है। इन्हीं में से एक है बौद्ध धम्म , जो 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में भगवान् गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित किया गया। यह धम्म जीवन के दुखों को समझने और उनसे मुक्ति पाने का मार्ग दिखाता है। बौद्ध दर्शन का इतिहास भारत की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक परिस्थितियों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
इस लेख में हम चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार भारत में बौद्ध धम्म का सच, सम्राट अशोक का धम्म के लिए योगदान, भारत में बौद्ध धर्म कमजोर होने के सबसे बड़े कारण और उनकी सच्चाई, इन सभी के बारे में विस्तार से जानेंगे ।
Baudh Dharma का उदय और भगवान बुद्ध का जीवन
भगवान गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी जो कि अब नेपाल में है के शाक्य कुल में हुआ था। उनके पिता शुद्धोधन शाक्य गणराज्य के राजा थे और माता का नाम महामाया था। सिद्धार्थ का विवाह 16 साल की आयु में कोलीय वंश की राजकुमारी राजा दंडपाणी की पुत्री यशोधरा से हुआ। यशोधारा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम राहुल रखा गया।
कहा जाता है सिद्धार्थ के जन्म के समय ही एक ऋषि ने भविष्यवाणी की थी कि सिद्धार्थ बुद्ध बनेगा कोई राजा नहीं। 29 वर्ष की उम्र तक जीवन की जो सच्चाई उनसे छुपाई गई वो सत्य सामने आने लगे, क्योंकि उनके माता-पिता ने उस ऋषि की भविष्यवाणी को देखते हुए उन्हें जीवन के दुखों और सच्चाइयों से दूर रखा था जिससे सिद्धार्थ के मन में वैराग्य न जागे और वह अपने जीवन में आनंदित रहे, और अपने मन से वैराग्य की भावना त्याग दें। क्योंकि बचपन से ही सिद्धार्थ के मन में तरह-तरह के प्रश्न आते थे जिसको देखकर महाराजा शुद्धोधन हमेशा चिंतित रहते थे। और आखिर वह दिन आ ही गया जब वे गृह त्याग कर सत्य की खोज में निकल पड़े।
6 सालो की कठिन तपस्या के समय में उन्होंने लगभग उस समय के सभी प्रसिद्ध ऋषियों के पास गए। लेकिन किसी का आध्यात्मिक मार्ग उन्हें सही नहीं लगा और फिर आखिर में खुद ही निकल गए अपने बनाए रास्ते पर सत्य की खोज में, और बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे बुद्ध कहलाए। इसके बाद उन्होंने सारनाथ में धर्मचक्र प्रवर्तन नाम से पहला उपदेश दिया। यही से बौद्ध धम्म का सही प्रारंभ हुआ।
ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध का प्रभाव लोगों पर इतना हुआ कि वे जिस तरफ भी जाते और लोग उनको सुनते संघ में शामिल हो जाते थे। उस समय के बड़े-बड़े राजा जैसे मगध के राजा बिंबिसार,विद्वान जैसे महाकश्यप, सारिपुत्र आदि जो अनेक वर्षों से बड़े विद्वान और तपस्या में लीन थे। और आम लोग भी संघ में शामिल होने लगे क्योंकि संघ में छुआछूत और वर्ण भेद नहीं था।
बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत
बौद्ध धर्म के मूल में करुणा, अहिंसा और मध्यम मार्ग का विचार है। चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग।
- जीवन में दुख है।
- दुख का कारण इच्छा है।
- इच्छा यानी तृष्णा की समाप्ति ही दुख का अंत है।
- दुख से मुक्ति पाने का रास्ता अष्टांगिक मार्ग है।
अष्टांगिक मार्ग कुछ इस तरह है
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक वाक
- सम्यक कर्म
- सम्यक आजीविका
- सम्यक प्रयास
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
इसके अलावा, बौद्ध धर्म पंचशील, करुणा और ध्यान पर ज्यादा बल देता है।
मौर्य सम्राट अशोक और बौद्ध धर्म

272 से 232 ईसा पूर्व के समय में बौद्ध धर्म को फ़ैलाने में सम्राट अशोक की भूमिका निर्णायक रही। 261 ईसा पूर्व के कलिंग युद्ध में हुई रक्तपात को देखकर सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तित हुआ और उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया और बौद्ध धर्म को ही राज्य धर्म बनाया।
अशोक ने बौद्ध धर्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए अपने पुत्र और पुत्री सहित अन्य लोगों को श्रीलंका, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन, थाईलैंड और मध्य एशिया तक भेजा। उन्होंने 84000 बौद्ध स्तूपों, विहारों और स्तंभों का निर्माण कराया। उनके द्वारा बनवाए गए सांची स्तूप धौली शिलालेख और अशोक स्तंभ आज भी बौद्ध धर्म की महान विरासत हैं। 26 जनवरी 1950 को अशोक स्तंभ राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया जो आज भारत की अमूल्य धरोहर है।
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बौद्ध संगीति – Buddhist Councils
भगवान् बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके उपदेशों को संकलित करने और धर्म की एकरूपता बनाए रखने के लिए कई बौद्ध संगीति आयोजित की गईं।
सबसे पहली बौद्ध संगीति 483 ईसा पूर्व में महाकश्यप के नेतृत्व में राजग्रह में की गई।
दूसरी बौद्ध संगीति 383 ईसा पूर्व में वैशाली में हुई,इस बौद्ध संगीति का उद्देश्य संघ में अनुशासन बनाए रखना था।
तीसरी बौद्ध संगीति सम्राट अशोक के समय में पाटलिपुत्र में हुई। और चौथी बौद्ध संगीति 72 ईसा पूर्व में कनिष्क के संरक्षण में कश्मीर में की गई। यहीं से बौद्ध दर्शन की दो विचारधाराओं का जन्म हुआ हीनयान और महायान।
चीनी यात्री ह्वेनसांग का भारत आगमन
ह्वेनसांग Xuanzang 7वीं शताब्दी में भारत आए। वे एक चीनी बौद्ध भिक्षु थे जो बौद्ध दर्शन का और गहराई से अध्ययन के लिए लिए भारत आए थे। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में लगभग दस वर्षों तक शिक्षा प्राप्त की और वहां के विद्वानों से बौद्ध ग्रंथों का गहन अध्ययन किया।
अपने यात्रा वृत्तांत सी-यू-की’- Si-Yu-Ki में उन्होंने भारत की धार्मिक स्थिति, नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला और बौद्ध मठों का गहराई से वर्णन किया, उन्होंने बताया कि उस समय बौद्ध धम्म गुप्त साम्राज्य के दौरान दोबारा जीवित हो रहा था। उनके विवरण से हमें उस समय के समाज, शिक्षा और धर्म की गहराई से जानकारी मिलती है।
बौद्ध धर्म का भारत में प्रभाव
हालांकि बौद्ध धम्म ने कई सौ साल तक भारत में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति बनाए रखी। लेकिन समय के साथ यह कमजोर होने लगा। इसके कमजोर होने के मुख्य कारण थे । हिंदू धर्म में अचानक सुधार, वेदांत,और भक्ति आंदोलन ने बौद्ध धर्म को कमजोर किया। बौद्ध मठ, विहारों पर आक्रमण और बौद्ध मंदिरों का विनाश।
भगवान गौतम बुद्ध को विष्णु के दसवें अवतार के रूप में समाज को दिखाया जाना। जबकि भगवान गौतम बुद्ध ने साफ इन्कार किया था कि अगर कोई उनको विष्णु का अवतार कहेगा तो वह सरासर झूठ है । उनका कहना था वह एक जागृत मानव है कोई देवी देवता ,या किसी का अवतार नहीं।
12वीं शताब्दी तक भारत में बौद्ध धर्म बहुत कमजोर हुआ,लेकिन श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, चीन और जापान में यह फला-फूला।
आधुनिक भारत में बौद्ध धर्म
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया। उन्होंने भारत के शोषित वंचित समाज को सामाजिक न्याय और समानता दिलाने के लिए बौद्ध धर्म अपनाया, डॉ भीमराव अंबेडकर ने पहले हिंदू धर्म मैं सुधार के लिए जीवन भर संघर्ष किया लेकिन सफलता नहीं मिली।
उनका कहना था कि मैं हिंदू धर्म में जन्मा जरूर हूं जो मेरे हाथ में नहीं था लेकिन मरूंगा नहीं। आज भारत में बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, वैशाली और नालंदा जैसे पवित्र बौद्ध स्थान विश्वभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
बौद्ध साहित्य …
बौद्ध धर्म का साहित्य त्रिपिटक Tipitaka कहलाता है, जिसमें विनय पिटक में भिक्षुओं के अनुशासन संबंधी नियमो का विवरण है। सुत्त पिटक - भगवान बुद्ध के उपदेशो को संजोकर रखा गया है और अभिधम्म पिटक दार्शनिक विचार का वर्णन करता है। इसके अलावा, जातक कथाएं और मिलिंद पन्हा जैसे ग्रंथ भी महत्वपूर्ण हैं।
आखिर में कुछ..
बौद्ध धर्म भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है। इसका संदेश आज भी प्रासंगिक है करुणा, अहिंसा, प्रेम और शांति की राह। ह्वेनसांग जैसे यात्रियों के अनुभव और सम्राट अशोक के स्तंभ इस धर्म की गहराई और प्रभाव को प्रमाणित करते हैं।
आपके भगवान बुद्ध और बौद्ध धम्म पर क्या विचार हैं आप कमेंट सेक्शन में लिख सकते हैं।
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