बैंक,ग्राहक और लोनकर्जदार की मृत्यु के बाद बैंक अलग-अलग तरीके से पैसा वसूलते हैं, सभी लोन के अपने नियम है।

बैंक आज से एक दशक पहले क्रेडिट कार्ड उसी को जारी करती थी जिसकी प्रोफाइल और इनकम अच्छी होती थी,क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल काफी कम था लेकिन आज के समय में क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन आसानी से मिल जाता है। और आज के युवा और आम लोग इनका शिकार हो रहे हैं। हम आपको यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन गलत है और‌ नही लेना चाहिए, क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन दोनों ऐसी चीज है अगर समझदारी से आप इनका इस्तेमाल करेंगे

तो यह आपको अमीर भी बना सकते हैं और अगर आपने ना समझ से या किसी अन्य कारण के चलते इनका गलत इस्तेमाल किया तो यह आपके सबसे बड़े दुख का कारण भी बन सकते हैं , PWC की रिपोर्ट बताती है कि भारत में अभी 2024 में लगभग 100 मिलियन क्रेडिट कार्ड के यूजर्स हैं और 2028- 29 तक यह आंकड़ा 200 मिलियन तक पहुंच जाएगा। The Economic Times के अनुसार जून 2024 तक भारत में क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि लगभग 2.7 लाख करोड रुपए है।

बैंक,ग्राहक और लोन

लेकिन बैंकों, और फाइनेंस कंपनीयों का कहना है कि यह कोई चिंता का विषय नहीं है, आज के डिजिटल युग में अनेक फाइनेंस कंपनियों ने जन्म ले लिया है जो कंपनी किसी दूसरी सर्विस को प्रोवाइड करती है अब वह भी फाइनेंस सेक्टर में कूद पड़ी है और अब क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन ऑफर करने लगी है। ये सुविधाएं अच्छी है लेकिन सुविधाओं के साथ-साथ कुछ ऐसी असुविधाएं भी जन्म लेती है। जो आज लोगों के खुशहाल जीवन मे दुखों का कारण बना हुआ है।

हम टॉपिक पर आते हैं अगर क्रेडिट कार्ड लेने के बाद कार्ड की राशि के साथ किसी कार्ड होल्डर की अचानक मृत्यु हो जाती है तो उस दौरान बैंक अपना पैसा कैसे वसूलता है। यह सवाल सभी के मन में होता हैं। और देश में ऐसे बहुत से मामले भी होते हैं। तो चलिए जानते हैं क्रेडिट कार्ड,पर्सनल लोन और अन्य लोन की बकाया राशि होने पर अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बैंक क्या कार्यवाही कर सकता है।

क्रेडिट कार्ड : क्रेडिट कार्ड एक अनसिक्योर्ड लोन है जो ग्राहक को बिना किसी गारंटी के मिल जाता है। आज के समय में तो इतना आसान है कि आप ऑनलाइन घर बैठे इस अप्लाई कर लेते हैं और पांच सात दिन में यह कार्ड आपको मिल जाता है। बिल्कुल आसान ! आप ऐसे समझ सकते हैं कि बैंक सिर्फ ग्राहक की प्रोफाइल देखती है और उसको एक क्रेडिट कार्ड जारी कर देती है।
उदाहरण से समझते हैं : राजेश के पास एक ₹5 लाख का क्रेडिट कार्ड है और उसकी बकाया राशि ₹1 लाख रुपए है। और अचानक किसी दुर्घटना से राजेश की मृत्यु हो जाती है। तो अब सवाल उठता है कि उस राशि का भुगतान कौन करेगा।‌

तो इसका जवाब है की कानूनी रूप से बैंक कुछ नहीं कर सकती, अगर किसी व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है तो बैंक उसके वारिस, रिश्तेदारों आदि से उस देनदारी को वसूल नहीं कर सकता। अगर ग्राहक का जॉइंट क्रेडिट कार्ड है यानी ग्राहक की पत्नी भी क्रेडिट कार्ड लेते समय उस एप्लीकेशन में शामिल है और उसके हस्ताक्षर और डॉक्यूमेंट लगे हुए हैं तो बैंक मृतक की पत्नी से वसूली के लिए बात कर सकता हैं।

पर्सनल लोन : आज के समय में युवा और आम लोग पर्सनल लोन आसानी से ले लेते हैं, अब पहले की तरह बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती,और इतने दस्तावेजों की जरूरत भी नहीं होती है , बस कुछ क्लिक पर और कुछ ही मिनट में ग्राहक के अकाउंट में लोन राशि आ जाती है।

कुछ समझदार लोग उसे पैसे को समझदारी से निवेश करते हैं या अपने बिजनेस में लगाते हैं, और कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ना समझ से उसे पैसे को दिखावे के लिए या फिर अन्य वस्तु पर खर्च करते हैं और अपने लिए मुसीबत खड़ी कर लेते हैं , यहां हमें नहीं भूलना चाहिए कि कुछ लोगों की मजबूरियां भी लोन के कर्ज का कारण बनती है,

जैसे मेडिकल इमरजेंसी, या अचानक किसी आर्थिक ‌खर्च का सामना। और इसी तरह एक आम आदमी कर्ज में फंसता है। अगर ग्राहक की आमदनी अच्छी है तो सब कुछ सही चलता रहेगा, लेकिन समय के साथ साथ जब लोन का भार ज्यादा बढ़ जाता है तो फिर शुरू होते हैं उस व्यक्ति के बुरे दिन ,कुछ मामलों में होता है कि अचानक ग्राहक की मृत्यु हो जाती है और उसका परिवार उस कर्ज की मार झेलता है, अब बात आती है कि ग्राहक की मृत्यु हो चुकी है तो बैंक लोन का पैसा किससे वसूलेगी, वैसे तो पर्सनल लोन भी एक अनसिक्योर्ड लोन होता है क्योंकि यह बिना किसी सामान को गिरवी रखे मिल जाता है,

लेकिन बैंक लोन देते समय ग्राहक से एक एग्रीमेंट साइन कराती है और उसे पैसे को वापस लेने के लिए ECS, NACH का उपयोग करती है, अगर ग्राहक पैसा देने में चूक करता है तो ECS बाउंस हो जाती है, जो कि सेक्शन 25 के तहत एक जुर्म है , बस इसी को हथियार बनाकर बैंक कार्यवाही करती है इन मामलों में बैंक अपना पैसा वसूलने के लिए ग्राहक पर कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ ग्राहक की संपत्ति को जब्त कर सकती हैं, और अन्य कीमती सामान, आभूषण , गाड़ी, आदि बेचकर अपना पैसा वसूल सकती है। बैंक गाड़ी तभी उठा सकता है अगर वह वाहन लोन हो, अगर ग्राहक के वारिस बैंक को समय रहते मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज सबमिट करते हैं और सही जानकारी देते हैं, तो बैंक उन्हें लोन सेटेलमेंट का ऑफर भी दे सकती है।

होम लोन : अगर कोई ग्राहक बैंक से होम लोन लेता है तो यह एक सिक्योर्ड यानी सुरक्षित Cहै, इसमें ग्राहक द्वारा ऋण वापस न चूका ने पर बैंक संपत्ति को जप्त करने का अधिकार रखता है, और अचानक से उस ग्राहक की मृत्यु हो जाती है। तो बैंक अपनी राशि वसूलने के लिए उस घर की नीलामी कर सकता है और अपना पैसा वसूलता है। और अगर ग्राहक ने अपना टर्म प्लान किया कराया हुआ था तो फिर इंश्योरेंस कंपनी बकाया राशि का भुगतान करती है।

जिससे उसका परिवार बेघर होने से बच जाता है, अगर कोई भी व्यक्ति होम लोन लेता है तो उसे अपना टर्म प्लान जरूर करा लेना चाहिए, अपने लिए ना सही अपने परिवार को ध्यान में रखकर, मृतक को इंश्योरेंस कंपनी सिर्फ बकाया राशि ही नहीं देती बल्कि उसका पूरा परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित हो जाता है।

बिजनेस लोन : बिजनेस लोन बैंक ग्राहक के बिजनेस को देख कर देता है, जिसमें बैंक उचित दस्तावेज, और जरूरी वेरिफिकेशन करता है,यानि संतुष्ट होने पर ग्राहक को बिजनेस लोन दिया जाता है, अब बात आती है कि लोन लेने के बाद अगर ग्राहक की अचानक मृत्यु हो जाती है, तो क्या होगा ? बैंक अपनी राशि वसूलने के लिए कई तरीके अपना सकता है।

बैंक ग्राहक के वारिसों से मिलकर ग्राहक की व्यक्तिगत संपत्ति को नीलाम कर सकते हैं, या उचित कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं,और वह ग्राहक के ऑफिस और बिजनेस से संबंधित मशीनरी या अन्य सामान को बेचकर भी पैसे की वसूली कर सकता हैं, और अगर ग्राहक की मृत्यु की जानकारी बैंक को मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य सही जानकारी समय रहते दी जाती है, तो बैंक ग्राहक के वारिसों से संपर्क करके उस लोन को सेटलमेंट करने पर भी विचार कर सकती हैं।

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