Arti Sathe Controversy: BJP प्रवक्ता बनी बॉम्बे हाई कोर्ट की जज !

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Arti Sathe Controversy- हाल ही में महाराष्ट्र भाजपा की पूर्व प्रवक्ता आरती साठे को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। उनकी नियुक्ति को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि एक राजनीतिक पार्टी की प्रवक्ता को सीधे हाईकोर्ट का न्यायाधीश बना देना न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।

इस मुद्दे को लेकर एनसीपी नेता रोहित पवार और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने खुले तौर पर आपत्ति जताई और इस नियुक्ति को राजनीतिक प्रभाव का परिणाम बताया।

कौन हैं आरती साठे ?

आरती साठे एक वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व भाजपा प्रवक्ता और क्रिप्टो विषयों की विशेषज्ञ मानी जाती हैं। उन्होंने अपने करियर में कॉर्पोरेट लॉ, टेक्नोलॉजी लॉ और डिजिटल फाइनेंस से जुड़े मामलों पर विशेष रूप से काम किया है। आरती साठे की पृष्ठभूमि राजनीतिक रही है, जहां उन्होंने पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर काम किया और पार्टी की नीतियों को जनता तक पहुँचाया।

उनके पिता भी भाजपा से जुड़े रहे हैं और उन्होंने एक बार अभिनेता सुनील दत्त के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस वजह से उनकी नियुक्ति पर विपक्ष का आरोप है कि यह न्यायिक नहीं बल्कि राजनीतिक फैसला है।

क्या है आरती साठे की योग्यता

आरती साठे ने लॉ में उच्च शिक्षा प्राप्त की है और लगभग 20 साल से ज्यादा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का वकालत का अनुभव है। आरती साठे टेक्नोलॉजी और फाइनेंस लॉ में भी विशेषज्ञता रखती है।

भाजपा का कहना है कि आरती साठे की नियुक्ति उनकी योग्यता अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर हुई है, न कि किसी राजनीतिक लाभ के कारण।

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विपक्ष का आरोप – न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में

विपक्षी नेताओं का कहना है कि एक राजनीतिक प्रवक्ता को सीधे न्यायपालिका का हिस्सा बना देना खतरनाक परंपरा बन सकती है। इससे आम जनता का न्याय प्रणाली पर विश्वास डगमगा सकता है और यह नियुक्ति Collegium सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है।

एनसीपी नेता रोहित पवार ने मांग की कि इस नियुक्ति पर मुख्य न्यायाधीश CJI को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए और न्यायपालिका को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखना चाहिए।

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Arti Sathe Controversy- भाजपा की सफाई

भाजपा का पक्ष है कि आरती साठे की नियुक्ति कानूनी प्रक्रिया के तहत, पूरी पारदर्शिता के साथ हुई है। पार्टी ने आरोपों को राजनीतिक चाल बताया और कहा कि विपक्ष केवल बिना वजह का विवाद खड़ा कर रहा है।

भाजपा का यह भी कहना है कि आरती साठे की नियुक्ति Collegium सिस्टम,केंद्र सरकार की सिफारिश, और राष्ट्रपति की मंजूरी से हुई है। इसे राजनीति से जोड़ना न्यायपालिका का अपमान है।

Collegium सिस्टम क्या कहता है ?

भारत में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए Collegium सिस्टम लागू है, जिसमें हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सीनियर जज नियुक्ति का प्रस्ताव देते हैं और सुप्रीम कोर्ट की Collegium उस पर अंतिम निर्णय लेती है एवं केंद्र सरकार और राष्ट्रपति उस निर्णय को लागू करते हैं। आरती साठे की नियुक्ति भी इसी प्रक्रिया के तहत हुई है।

क्या यह पहली बार हुआ है ?

नहीं। इससे पहले भी कुछ मामलों में पूर्व राजनेताओं, सांसदों या पार्टी पदाधिकारियों को न्यायपालिका में नियुक्त किया गया है। लेकिन ऐसे मामलों पर सदैव सवाल उठते रहे हैं क्योंकि न्यायपालिका को निष्पक्ष और स्वतंत्र माना जाता है।

कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नियुक्ति योग्यता आधारित है तो आपत्ति नहीं होनी चाहिए लेकिन राजनीतिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति की नियुक्ति पर पारदर्शिता और विवरण साझा किया जाना चाहिए।

जनता के बीच भी राय बंटी हुई है कुछ लोग आरती साठे को एक काबिल और योग्य उम्मीदवार मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे राजनीतिक फायदा बता रहे हैं।

न्यायपालिका में पारदर्शिता और विश्वास सबसे जरूरी ,आरती साठे की नियुक्ति ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा किया है कि क्या न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है,या फिर कहीं न कहीं राजनीतिक हस्तक्षेप भी मौजूद है?

इस तरह की नियुक्तियों पर पारदर्शिता बनाए रखना और जनता के सवालों का उत्तर देना जरूरी है, ताकि न्यायपालिका की गरिमा और जनता का विश्वास बरकरार रह सके। इस पर आपके क्या विचार है आप कमेंट सेक्शन में साझा कर सकते हैं।

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