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क्या आपने कभी सोचा है कि आज के डिजिटल और आधुनिक दौर में भी भारत का कोई गांव ऐसा हो सकता है, जहां न बिजली हो और न ही आधुनिक तकनीक की बुनियादी सुविधाएं? झारखंड के गोंडा जिले में स्थित बड़ा चपरी गांव इसी कड़वी हकीकत को सामने लाता है। देश जहां 24 घंटे बिजली और डिजिटल इंडिया की बात कर रहा है, वहीं बड़ा चपरी गांव आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर है।
कहां है बड़ा चपरी गांव?
बड़ा चपरी गांव झारखंड के गोंडा जिले में स्थित है। यह गांव भले ही प्रशासनिक नक्शे पर दर्ज हो, लेकिन सुविधाओं के मामले में आज भी मुख्यधारा से काफी पीछे है। गांव में लगभग 30 घर हैं और आबादी सीमित है, इसके बावजूद यहां तक बिजली जैसी बुनियादी सुविधा नहीं पहुंच पाई है।

आज तक नहीं पहुंची बिजली
ग्रामीणों के अनुसार, बड़ा चपरी गांव में आज तक बिजली की लाइन नहीं बिछाई गई। शाम ढलते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है। घरों में न पंखा चलता है, न बल्ब जलता है और न ही कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण काम करता है। अंधेरे में जीवन जीना यहां के लोगों की मजबूरी बन चुका है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों को अपनी समस्या से अवगत कराया, लेकिन आज तक जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी।
करीब 4 से 5 साल पहले सरकार की एक योजना के तहत गांव में हर घर के लिए सोलर खंभे लगाए गए थे। शुरुआती दिनों में इन सोलर सिस्टम से गांव को कुछ राहत जरूर मिली। रात में थोड़ी रोशनी मिलने लगी और मोबाइल चार्ज करना संभव हो पाया।
लेकिन कुछ समय बाद ही ये सोलर सिस्टम खराब होने लगे। आज हालात यह हैं कि लगभग सभी सोलर खंभे बंद पड़े हैं। रखरखाव और मरम्मत के अभाव में यह योजना पूरी तरह विफल साबित हुई।
डिजिटल युग में भी मोबाइल एक चुनौती
बड़ा चपरी गांव में करीब 30 घर हैं। इनमें से लगभग 15 लोगों के पास मोबाइल फोन हैं, लेकिन सिर्फ 5 लोगों के पास ही स्मार्टफोन मौजूद हैं। बिजली न होने के कारण मोबाइल चार्ज करना बड़ी समस्या है।
जो गिने-चुने सोलर खंभे कभी-कभार काम करते हैं, उन्हीं से ग्रामीण मोबाइल चार्ज करते हैं। नेटवर्क की समस्या अलग से परेशानी बढ़ाती है। ऐसे में डिजिटल सेवाएं, ऑनलाइन जानकारी और सरकारी ऐप्स इस गांव के लिए लगभग बेकार साबित हो रही हैं।
बच्चों की पढ़ाई पर सबसे गहरा असर
बिजली न होने का सबसे बड़ा नुकसान गांव के बच्चों को हो रहा है। दिन में स्कूल जाने के बाद शाम और रात में पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है। घरों में पर्याप्त रोशनी नहीं होती, जिससे बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते।
ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल क्लास या मोबाइल से पढ़ाई की बात यहां केवल कल्पना बनकर रह गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बिजली होती, तो उनके बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता था।
इलाज और आपात स्थिति में परेशानी
बिजली के अभाव का असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी पड़ रहा है। किसी आपात स्थिति में मोबाइल चार्ज न होना बड़ी समस्या बन जाता है। रात के समय बीमार व्यक्ति को अंधेरे में इलाज के लिए बाहर ले जाना जोखिम भरा होता है।
रोजगार और जीवन स्तर पर असर
बिजली न होने से रोजगार के अवसर भी सीमित हो जाते हैं। कोई छोटा व्यवसाय, दुकान या कुटीर उद्योग यहां संभव नहीं हो पाता। गांव के लोग दिहाड़ी मजदूरी या खेती पर निर्भर हैं। बिजली की कमी ने उनके जीवन स्तर को वर्षों से रोक रखा है।
विकास के दावों पर बड़ा सवाल
अगर 21वीं सदी में भी देश का कोई गांव बिजली से वंचित है, तो यह विकास के दावों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सवाल राज्य सरकार से भी है और केंद्र सरकार से भी, जो हर मंच से गांव-गांव तक विकास पहुंचाने की बात करती हैं।
आखिर क्यों आज भी झारखंड का बड़ा चपरी गांव बिजली के इंतजार में है? क्यों सरकारी योजनाएं कागजों तक सीमित रह जाती हैं?
ग्रामीणों की साफ मांग
बड़ा चपरी गांव के लोगों की मांग बहुत साधारण है। उनका कहना है कि या तो गांव में जल्द से जल्द बिजली की स्थायी व्यवस्था की जाए, या फिर खराब पड़े सोलर सिस्टम को दोबारा दुरुस्त कराया जाए।
ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी यह आवाज अब अनसुनी नहीं रहेगी और 21वीं सदी में उन्हें भी रोशनी में जीने का अधिकार मिलेगा।
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