Lawyers on Social Media – सोशल मीडिया की चमक-दमक में कहीं वकालत की गरिमा तो नहीं खो रही ? दिल्ली बार काउंसिल ने हाल ही में एक गंभीर चेतावनी जारी की है, जो वकीलों और कानून से जुड़े सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। यह नोटिस उन वकीलों को लेकर है, जो सोशल मीडिया पर अपने प्रोफेशन को प्रमोट करने के लिए वीडियो, पोस्ट, फोटोशूट और इंटरव्यूज का सहारा ले रहे हैं।
Lawyers on Social Media- क्या है पूरा मामला ?
दिनांक 4 अगस्त 2025 को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन सूर्य प्रकाश खत्री द्वारा जारी एक नोटिस में बताया गया कि अनेक वकील सोशल मीडिया का उपयोग अपने कानूनी सेवाओं का प्रचार करने के लिए कर रहे हैं, जो कि कानून के मुताबिक गैर-कानूनी और अनैतिक है।
इस नोटिस के अनुसार, वकीलों द्वारा वीडियो और पोस्ट के ज़रिए अपने केस प्रमोट करना व्यक्तिगत मुलाक़ातों की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करना,फोटो खिंचवाकर अपने आप को किसी हाईलाइट केस से जोड़ना, और सर्कुलर के माध्यम से सेवाओं का विज्ञापन देना। जैसे कृत्य अनैतिक कैंवसिंग की श्रेणी में आते हैं।

बार काउंसिल ऑफ़ दिल्ली द्वारा जारी नोटिस Photo lawtrend.in
नोटिस और कानून क्या कहता है ?
नोटिस में स्पष्ट रूप से Bar Council of India Rule 36 का हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार कोई भी वकील किसी भी प्रकार से अपने पेशे का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता, ना ही अपनी सेवाओं का विज्ञापन कर सकता है। यह नियम वकालत की गरिमा और नैतिकता को बनाए रखने के लिए बनाया गया है।
बार काउंसिल का कहना है कि इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के दौर में कई सेल्फ-स्टाइल्ड लीगल इन्फ्लुएंसर्स उभर रहे हैं, जो वकील नहीं होते हुए भी कानूनी जानकारी साझा कर रहे हैं और बिना उचित प्रमाण-पत्र के गुमराह करने वाली जानकारी फैला रहे हैं आज न्याय को व्यूज और लाइक्स की दौड़ में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सब न केवल लोगों को भ्रमित कर रहा है, बल्कि यह न्याय व्यवस्था की गरिमा को भी ठेस पहुँचा रहा है।
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क्या हो सकते हैं परिणाम ?
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने कहा है कि जो भी वकील इस नियम का उल्लंघन करते पाए जाएंगे उनके खिलाफ Section 35 of the Advocates Act, 1961 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।
इसमें वकालत का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है या सस्पेंड किया जा सकता है। और यह एक गंभीर कदाचार serious misconduct माना जाएगा।
वकीलों के लिए चेतावनी …
नोटिस में साफ-साफ निर्देश दिया गया है कि वे सभी वकील जो सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और इस प्रकार की सामग्री शेयर कर रहे हैं, वे तुरंत उसे हटा लें, अन्यथा उनके खिलाफ व्यक्तिगत कार्रवाई की जाएगी।
वकालत सिर्फ एक पेशा नहीं, एक सेवा और जिम्मेदारी है। न्याय को बाजारू बनाना वकालत की नैतिकता के खिलाफ है। लोगों को कानूनी मुद्दों पर विश्वसनीय जानकारी मिलनी चाहिए, न कि गुमराह करने वाला कंटेंट। जो आज के समय में सोशल मीडिया के जरिए हो रहा है।
आम जनता के लिए सलाह
अगर आप सोशल मीडिया पर किसी वकील या लीगल इन्फ्लुएंसर को फॉलो कर रहे हैं तो ध्यान दें ,क्या वह व्यक्ति वास्तविक रूप से पंजीकृत वकील है ? यानी उसके पास बार काउंसिल का लाइसेंस है ? क्या वह प्रमाणिक जानकारी दे रहा है ? क्या वह अपने केस का प्रचार कर रहा है? यदि उत्तर ना है, तो उसकी जानकारी पर भरोसा करने से पहले दो बार सोचें।
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आखिर में कुछ
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली का यह कदम निश्चित तौर पर वकालत की गरिमा और शुचिता को बनाए रखने की दिशा में अहम है। आज जब सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन चुका है, तब यह जरूरी हो गया है कि इस मंच पर भी नैतिकता और पेशेवर मर्यादा का पालन किया जाए।
वकालत महज़ एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था की रीढ़ है। इसलिए इसका दुरुपयोग ना केवल पेशेवर अपराध है, बल्कि सामाजिक अपराध भी माना जाएगा।
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