जब भी हम किसी काम को होते हुए देखते हैं – चाहे वो इमारत बनती हो, लकड़ी पर नक्काशी होती हो या किसी चित्रकार की पेंटिंग बनती हो – तो हमें केवल “काम” दिखता है। लेकिन उस काम के पीछे जो व्यक्ति है, उसकी सोच, उसकी मेहनत और उसका जज़्बा अलग-अलग स्तरों पर होता है। इसी के आधार पर व्यक्ति को मजदूर, कारीगर और कलाकार कहा जाता है।
यह फर्क केवल शब्दों का नहीं, बल्कि सोच, भावना और दृष्टिकोण का है। चलिए इस ब्लॉग में आसान भाषा में समझते हैं कि मजदूर, कारीगर और कलाकार में क्या अंतर होता है।

1. मजदूर कौन होता है ?
मजदूर वह होता है जो केवल शारीरिक मेहनत करता है। वह काम को आदेश के अनुसार करता है, उसमें रचनात्मकता या भावनाओं की अपेक्षा नहीं की जाती। उसका मुख्य उद्देश्य अपने श्रम के बदले में मेहनताना पाना होता है। बस बात यहीं खत्म हो जाती है इसके आगे मजदूर को कोई मतलब नहीं होता ।
उदाहरण :
एक इमारत बनाने वाले मजदूर जो ईंटें उठाते हैं, गारा मिलाते हैं और बाकी का सभी काम करके एक इमारत बनाते हैं ।
खेतों में काम करने वाले मज़दूर जो जुताई, बुआई या कटाई जैसे काम करते हैं।
मजदूर की पहचान :
काम में फिजिकल स्ट्रेंथ की जरूरत होती है।
उन्हें काम कैसे करना है, ये कोई और बताता है।
उनका योगदान बुनियादी ढांचा तैयार करने में होता है।
मजदूर की समाज में कीमत :
मजदूर समाज की नींव हैं। बिना उनके, कोई भी निर्माण कार्य या उत्पादन संभव नहीं । ये बात सत्य है । लेकिन जिन्हें जीवन में कुछ बड़ा करना है उनके रास्ते भी अलग होते हैं,और उनके काम करने का तरीका भी ।
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2. कारीगर कौन होता है ?
कारीगर वह होता है जो हाथ और दिमाग दोनों से काम करता है। वह सिर्फ आदेश का पालन नहीं करता, बल्कि उसमें अपने अनुभव और कौशल का इस्तेमाल करता है। कारीगर का काम तकनीकी होता है और वह अक्सर किसी खास हुनर में निपुण होता है। वह अपनी कारीगरी के लिए जाना जाता है ।
उदाहरण :
बढ़ई जो लकड़ी को माप कर सही आकार देता है।
सुनार जो सोने को गला कर सुंदर गहने बनाता है।
दर्जी जो कपड़े की फिटिंग को समझकर सिला करता है।
कारीगर की पहचान :
हाथ और दिमाग का सही संतुलन।
काम में सफाई, नाप-तोल और परिशुद्धता होती है।
यह किसी ट्रेड या हुनर का विशेषज्ञ होता है।
समाज में कारीगर की कीमत :
कारीगर यानी जिसके हाथ मे एक अलग हुनर होता है ,कारीगर किसी भी वस्तु को उपयोगी और सुंदर बनाता है। समाज में इनकी भूमिका निर्माण और विकास की रीढ़ है। मैं समझता हूं कारीगर सफल व्यक्ति के पीछे की कड़ी है।
3. कलाकार कौन होता है ?
कलाकार वह होता है जो अपने हाथ, दिमाग और दिल – तीनों से काम करता है। वह सिर्फ काम नहीं करता, वह अपने काम में भावनाएं, रचनात्मकता और अभिव्यक्ति मिलाता है। उसका उद्देश्य केवल उत्पाद बनाना नहीं होता, बल्कि उस उत्पाद में एक कहानी, एक भावना और एक सौंदर्य देना होता है। कलाकार काम को दिल से जोड़कर करता है जो उसको अलग बनाता है । मेरा मानना है कलाकार एक सही दिशा में मेहनत करता रहे तो सफलता हासिल कर सकता है । कलाकार और कारीगर में बस भावनाओं का अन्तर है ।
कलाकार की पहचान :
काम में दिल से जुड़ाव होता है।
उसकी कला दूसरों को सोचने और महसूस करने पर मजबूर करती है।
वह समाज की भावनाओं को स्वर, रंग या रूप में व्यक्त करता है।
समाज में कलाकार की कीमत :
कलाकार समाज को सुंदरता, संवेदना और प्रेरणा देता है। वह एक संस्कृति का दर्पण होता है। और कलाकार ही है जो लोगो के दिलों में राज करता है ।
आखिर में कुछ :
हर व्यक्ति का काम महत्वपूर्ण होता है। मजदूर, कारीगर और कलाकार – ये तीनों एक समाज को बनाने, संवारने और जीवंत रखने में अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। फर्क केवल उस दृष्टिकोण और भावना का है, जिससे वह काम किया जाता है।
मजदूर हमें आधार देता है,
कारीगर उसे आकार देता है,
और कलाकार उसमें आत्मा भरता है।
हमें हर स्तर के काम की इज्जत करनी चाहिए, क्योंकि कोई भी समाज तब तक समृद्ध नहीं हो सकता जब तक वह अपने मेहनतकश लोगों को उचित सम्मान ना दे। लेकिन सभी लोग सोचते है कि वे अपने काम में सफल हो । वो कहते हैं कि सफल आदमी कोई अलग काम नहीं करते बस काम को अलग तरीके से करते हैं।
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