Kashmir History in hindiKashmir History in hindi

Kashmir History in hindi – भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए, अब दोनों देशो के सामने अनेक चुनौतियां भी थी, देश में फैली 557 रियासतों को तय करना था, कि वे भारत या पाकिस्तान में से किस देश में विलय करना चाहते हैं, या उन्हें स्वतंत्र रहना है, इतिहास में जम्मू कश्मीर रियासत एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

जम्मू-कश्मीर के शासक राजा हरि सिंह ने शुरुआत में आजाद रहने का विकल्प चुना। लेकिन कहते हैं कि समय अच्छे-अच्छे को झुका देता हैं, और राजा हरि सिंह के साथ भी कुछ ऐसी ही घटनाऐ हुई। तब जाकर कश्मीर का भारत में विलय हुआ। आइए, इन ऐतिहासिक घटना और उससे जुड़े कुछ अनसुने किस्सों पर नज़र डालते हैं।

जम्मू-कश्मीर और राजा हरि सिंह का सपना :

Kashmir History in Hindi

जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित एक बड़ी रियासत थी। राजा हरि सिंह एक दूरदर्शी शासक थे, जो अपनी रियासत को किसी भी अन्य देश से स्वतंत्र रखना चाहते थे। उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ स्टैंडस्टिल एंग्रीमेंट (यथास्थिति समझौता) पर बातचीत शुरू की, ताकि कश्मीर अपनी स्वतंत्रता बनाए रख सके। जबकि पाकिस्तान इस बात पर भरपूर जोर दे रहा था कि कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बने,

वही एक दिलचस्प कहानी है शेख अब्दुल्ला की शेख अब्दुल्ला अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राजा हरि सिंह के पास नौकरी के लिए जाता है, लेकिन राजा हरि सिंह का कहना था की नौकरी सिर्फ हिंदुओं को ही मिलेगी जिससे नाराज होकर शेख अब्दुल्ला के मन में राजा हरि सिंह के प्रति नफरत पैदा हो गई ,और वह घाटी में वापस लौट गया लेकिन अपनी अच्छी बोल भाषा और व्यक्तित्व की वजह से शेख अब्दुल्ला घाटी में प्रसिद्ध हो गया और घाटी के लोग शेख अब्दुल्ला को अपना नेता मानने लगे,

शेख अब्दुल्ला यह बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बने उनका झूकाओ भारत के प्रति अधिक था । की या तो कश्मीर भारत का हिस्सा बने या फिर स्वतंत्र रहे, शेख अब्दुल्ला ने ही जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस पार्टी को बनाया था जिसके वंशज उमर अब्दुल्ला 2024 में मुख्यमंत्री बने हैं । कहा जाता है की राजा हरि सिंह ने इसी प्रसिद्धि के चलते शेख अब्दुल्ला को जेल में डलवा दिया था।

कबायलियों का हमला :

जब महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान के साथ विलय से इनकार किया, तो पाकिस्तान ने एक साजिश रची। 22 अक्टूबर 1947 को, पाकिस्तान ने कबाइलियों (आजाद कश्मीरी सेना) को कश्मीर पर हमला करने के लिए भेजा। कबायलियों का यह हमला इतिहास में ऑपरेशन गुलमर्ग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

इन कबायलियों का मुख्य उद्देश्य था श्रीनगर पर कब्जा करना और कश्मीर को जबरदस्ती पाकिस्तान का हिस्सा बनाना। उन्होंने रास्ते में कई गांवों को लूटा, महिलाओं पर अत्याचार किये और निर्दोष नागरिकों की हत्या की।

बारामूला का क़िस्सा :

इस हमले के दौरान, बारामूला नामक एक छोटा सा शहर कबायलियों केकी क्रूरता का शिकार बना। कहा जाता है कि कबायलियों ने बारामूला में अराजकता फैलाई, अनेक महिलाओं के साथ गैंगरेप किये और अनेक लोगों का कत्लेआम हुआ,यहां एक कैथोलिक मिशनरी अस्पताल था, जहां पर नर्स और डॉक्टर सेवा दे रहे थे। अस्पताल में घुसकर अत्याचार किया गया।

फादर स्टीफन नामक एक पादरी इस अस्पताल में काम कर रहे थे। कबायलियों ने अस्पताल पर हमला किया और कई लोगों की हत्या कर दी। फादर स्टीफन ने मरीजों और कर्मचारियों को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे खुद इस हमले का शिकार हो गए। बारामूला की इस त्रासदी ने कश्मीर के लोगों के दिलों में गहरा डर पैदा कर दिया।

महाराजा हरि सिंह का भारत से मदद मांगना

बारामूला से कश्मीरी सेना श्रीनगर की तरफ बढ़ने लगी , जब सेना महज 35 कि. मी. दूर थी तो राजा हरिसिंह चिंतित हो गये, कि जिस क्रुरता से कश्मीरी सेना और पाकिस्तानी सेना मिलकर अराजकता फैला रही है , ऐसे में उनसे सामना करना असम्भव है , राजा हरिसिंह के ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने बताया कि हमारी सेना में लगभग 60 प्रतिशत सैनिक मुस्लिम है, अगर आजाद कश्मीरी सेना जिनमें कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी थे, हमारे सैनिकों को कुछ लालच देते हैं ,तो वे कबायलियों के पक्ष में जा सकते हैं ,

इसको सुनकर महाराज की चिंता और बढ़ गई,अब राजा हरिसिंह के पास समय बहुत कम था , उन्हें जो भी करना था जल्दी करना था। बारामूला और श्रीनगर के बीच एक पुल पड़ता था जो वहां पहुंचने का एकमात्र रास्ता था , राजा हरिसिंह के ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने उस पुल को ध्वस्त करा दिया, जिस वजह से कबायलियों की सेना श्रीनगर दो दिन देरी से पहुंची, इसी लड़ाई में ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह मारे गये। । अब राजा हरिसिंह के पास भारत से मदद मांगने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। और राजा हरिसिंह ने संदेश भेजकर सभी हाल कह सुनाया और मदद मांगी।

इस कठिन परिस्थिति में, भारत सरकार ने महाराजा हरि सिंह को मदद की पेशकश की। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने विशेष अधिकारी वी.पी. मेनन को कश्मीर भेजा। मेनन ने श्रीनगर जाकर स्थिति का जायजा लिया।

जब मेनन महाराजा से मिले, तो उन्होंने समझाया कि अगर कश्मीर भारत के साथ विलय नहीं करता, तो भारतीय सेना उनकी मदद नहीं कर पाएगी। इसके कई अंतरराष्ट्रीय कारण है , क्योंकि दुनिया की नजर में भारत एक अलग देश है और पाकिस्तान एक अलग देश ऐसे मैं भारत अगर राजा हरि सिंह की मदद करते हैं तो यह एक अंतरराष्ट्रीय युद्ध का रूप ले लेगा, जो यूएएन की नीतियों का उल्लंघन होगा , भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन भी यूएएन के एक सदस्य थे, और पाकिस्तान एवं भारत दोनों ही देशों के कमांडर ब्रिटिश थे, समय बेहद कम था और हालात हर पल बिगड़ते जा रहे थे। अब राजा हरि सिंह को निर्णय जल्द लेना था।

राजा हरि सिंह के विलय पत्र पर हस्ताक्षर‌ :

महाराजा हरि सिंह के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। 26 अक्टूबर 1947 को, उन्होंने इंस्टूमेंट ऑफ एक्सेशन (विलय पत्र) पर हस्ताक्षर किए। और इसके ठीक 12:00 के बाद यानी 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय गवर्नर माउंटबेटन ने इस विलय पत्र पर अपने हस्ताक्षर किए इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया।

राजा हरि सिंह का खुद को गोली मारने का आदेश :
इतिहासकार बताते हैं कि जब राजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, तो उन्होंने अपने सैनिक को आदेश दिया था कि अगर सुबह तक भारतीय सेना मदद के लिए कश्मीर नहीं पहुंची तो मुझे सोते समय ही गोली मार देना और यह कहकर अपने कक्ष में चले गए थे।

भारतीय सेना की वीरता :

विलय पत्र पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद, भारत से सेना के साथ जहाजो ने उड़ान भरी और 27 अक्टूबर की सुबह होते-होते डीसी 3 विमान सिख रेजीमेंट के साथ श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरा। और फिर बाकी सुना सड़क मार्ग, हवाई मार्ग से कश्मीर पहुंची। भारतीय सेना ने ऑपरेशन इंडिपेंडेंस शुरू किया। और कबायलियों( आजाद कश्मीरी सेना) के साथ जंग शुरू हो गई, सेना ने न केवल श्रीनगर को बचाया, बल्कि बारामूला और अन्य इलाकों को भी कबायलियों के कब्जे से मुक्त कराया।

संयुक्त राष्ट्र का हस्तक्षेप और कश्मीर विवाद :

हालांकि, यह संघर्ष यहीं समाप्त नहीं हुआ। पाकिस्तान ने कबायलियों की मदद जारी रखी, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। जनवरी 1948 में, भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया। इसके बाद युद्धविराम हुआ। और जहां पर युद्ध विराम हुआ उस लाइन को LOC लाइन ऑफ कंट्रोल कहा जाता है। और कश्मीर का एक हिस्सा, जिसे आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) कहते हैं, पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया। और बाकी का बचा हिस्सा भारत के हिस्से में आया। कश्मीर के भारत में विलय के बाद पंडित नेहरू ने राजा हरि सिंह से कहकर शेख अब्दुल्ला को जेल से बाहर कराया और कश्मीर का प्रधानमंत्री पद देने को कहा।

निष्कर्ष :

बारामूला की त्रासदी और कबायलियों का आक्रमण वह ऐतिहासिक घटना थी जिसने महाराजा हरि सिंह को भारत में विलय करने के लिए मजबूर कर दिया। इस घटना ने कश्मीर की राजनीति और भूगोल को हमेशा के लिए बदल दिया।

आज भी कश्मीर विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन यह विलय भारत की क्षेत्रीय अखंडता और कश्मीर की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इतिहास गवाह है कि इस संघर्ष में भारतीय सेना और कश्मीर के लोगों ने मिलकर अपने राज्य को बचाने के लिए अपार साहस का परिचय दिया।

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