Constitution DayConstitution Day

CONSTITUTION DAY यानी 26 नवंबर का दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है, और इस दिन भारतवासियो को उत्सव मनाना चाहिए, इसी दिन 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इसीलिए 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान ही हमें मौलिक अधिकार देता है

उन अधिकारों की वजह से ही हम सरकार से भी सवाल कर सकते हैं, और अपने हको की मांग कर सकते हैं, यह दिन हमें हमारे लोकतंत्र की जड़ों को समझने और हमारे अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाने का अवसर प्रदान करता है।

एक नजर संविधान पर……..

15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि भारत का भी एक संविधान हो जो हमारे देश को संचालित कर सके। इस पर विचार विमर्श करने के बाद संविधान सभा का गठन किया गया संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर सन 1946 को हुई।

INDIAN CONSTITUTION

इसके लिए संविधान सभा का गठन किया गया, जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष डॉक्टर अंबेडकर को बनाया गया इस कमेटी में कोई सा मेंबर थे जो अपनी व्यक्तिगत समस्याओं और अन्य कर्म के चलते इस कमेटी में काम नहीं कर पाए और अकेले डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ने इस पूरे संविधान को रूप रेखा दी। संविधान निर्माण में कुल 389 सदस्य शामिल हुए। संविधान निर्माता को संविधान बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा।

दिन था 26 नवंबर 1949 का जब भारत सरकार द्वारा संविधान को अपनाया गया। और 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान पूरे देश में लागू किया गया ,भारत में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मो के लोग रहते है, इन सभी विभिन्न धर्म के लोगो की अलग-अलग संस्कृति अलग-अलग भाषाएं हैं । हर एक राज्य मानो ऐसा लगता है जैसे एक अलग देश हो ,

लेकिन हमारा संविधान सभी राज्य को जोड़े हुए हैं, मोती जोड़ जोड़कर जैसे एक माला बनती है वैसे ही भारतीय संविधान सभी राज्यों को जोड़कर भारत को समेटे हुए हैं। हमारे महापुरूषों ने विकसित भारत का जो सपना देखा था संविधान की बदौलत एक दिन जरूर पूरा होगा।

डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर अद्वितीय योगदान………..

संविधान निर्माण में डॉक्टर अंबेडकर के अतुल्य योगदान के कारण ही उन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है The father of Indian Constitution. डॉ अंबेडकर की दूरदर्शिता के कारण ही आज भारत देश यहां तक पहुंचा है, और लगातार प्रगति कर रहा है, डॉ. अंबेडकर ने संविधान को ऐसी रूप-रेखा दी है , जिसमें हर वर्ग के व्यक्ति को समान अधिकार मिले। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए कई प्रावधान जोड़े।
उनके विचार थे:
“संविधान केवल एक कागज़ का दस्तावेज़ नहीं है, यह एक जीवंत साधन है जो समाज को न्याय और समानता का रास्ता दिखाता है।”

डॉ अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारो के लिए संविधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और महिलाओं की सदियों से चली आ रही गुलामी की जंजीरों को तोड़कर उन्हें बराबरी का अधिकार दिलाया , जिसके कारण ही महिलाओ की आज सभी क्षेत्रों में बढ़ोतरी हो रही है , समाज की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए संविधान में अनेक कानून शामिल कराए, जो शोषण और वंचित वर्ग की आवाज बने, अब राजा के घर राजा जन्म नहीं लेगा यह डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की देन है डॉ अम्बेडकर का योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा।

भारतीय संविधान की विशेषताएं……..

भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसमें ऐसी कई विशेषताएं हैं जो इसे अन्य देशों के संविधानों से अलग बनाती हैं।

1. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
यह हर भारतीय नागरिक को छह प्रमुख अधिकार प्रदान करता है:

  • समानता का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
  • संवैधानिक उपचार का अधिकार

2. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
1976 में 42वें संविधान संशोधन के तहत 11 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए।
भारत का संविधान हमें मौलिक अधिकारों के साथ-साथ भारतीय नागरिक होने के कारण कुछ जिम्मेदारियां भी देता है जिनका हमें एक अच्छे नागरिक का परिचय देते हुए पालन करना जरूरी है।

  • राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
  • पर्यावरण की रक्षा करना।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
  • संविधान का पालन करना।

3. नीति निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy)
ये प्रावधान राज्य सरकारों को यह मार्गदर्शन देते हैं कि राज्य सरकारे किस प्रकार समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करें।
जैसे, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा का अधिकार, और आर्थिक समानता आदि।

4. संविधान का लचीलापन और कठोरता

भारतीय संविधान को आवश्यकतानुसार संशोधित किया जा सकता है। अब तक भारतीय संविधान में 105 संशोधन हो चुके हैं। और देश को आगे भी जरूरत पड़ी तो संविधान में संशोधन होते रहेंगे यह सोच थी डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की उनकी दूरदर्शिता इतनी पावरफुल थी कि उन्हें पता था समय के अनुसार संविधान में संशोधन का रास्ता होना चाहिए। इसलिए हमारा संविधान इतना लचीला है ।

5. संघीय ढांचा (Federal Structure)
भारत एक संघीय प्रणाली पर आधारित है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें दोनों के पास अपने-अपने क्षेत्राधिकार हैं।

भारतीय संविधान दिवस का महत्व…….

संविधान दिवस का दिन हर भारती के लिए किसी त्योहार से कम नहीं, क्योंकि भारतीय संविधान की बदौलत ही हम अपने देश में आजाद घूमते हैं, और तरह-तरह की सुविधाओं का फायदा उठाते हैं, क्योंकि यही संविधान हमें बोलने का अधिकार देता है, यही संविधान में समानता का अधिकार देता है, और यही संविधान है जो हमें अधिकार देता है कि हम भारत सरकार से सवाल कर सके जो अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है,

इसी का नाम लोकतंत्र है, बस वोट देकर चले आने को हम लोकतंत्र नहीं कह सकते। और हमारे देश का एक वर्ग ऐसा भी है जीन जीन भी संविधान की बदौलत ही आया है संविधान से पहले उनका जीवन किसी नर्क से कम नहीं था। महिलाओं को संविधान दिवस पर उत्सव मनाना चाहिए क्योंकि संविधान ही उनकी गुलामी की जंजीरों को तोड़ता है उन्हें सामानता का अधिकार देता है।

1. नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना।
2. लोकतंत्र के महत्व को समझाना।
3. डॉ. अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों के योगदान का सम्मान करना।
4. यह सुनिश्चित करना कि हर नागरिक संविधान का पालन करे।

संविधान दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि हमारा संविधान सिर्फ कानूनों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र और हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक है।

आज के समय में संविधान……
आज जब दुनिया तेजी से बदल रही है, हमारा संविधान हमें यह सिखाता है कि कैसे हम एक जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं। यह हमें हमारे अधिकारों के साथ-साथ हमारे कर्तव्यों का भी ज्ञान देता है।

उदाहरण के लिए :
मतदान करना : यह न केवल हमारा अधिकार है, बल्कि हमारा कर्तव्य भी है।
न्यायिक प्रक्रिया : अगर हमारे अधिकारों का हनन होता है, तो हमें न्याय पाने का पूरा अधिकार है।

आखिर में कुछ…….
भारतीय संविधान दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों को याद करने का दिन है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने अधिकारों का सम्मान करें और अपने कर्तव्यों को निभाएं।

तो आइए, आज के दिन यह प्रण लें कि हम अपने संविधान का सम्मान करेंगे, इसके सिद्धांतों का पालन करेंगे और भारत को एक मजबूत और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देंगे।

जय हिंद!

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