लोन लेना आज के डिजिटल युग में बहुत ज्यादा आसान हो गया है। लोन कई प्रकार के होते हैं जैसे पर्सनल लोन, बिजनेस लोन होम लोन, और अन्य कई प्रकार के लोन, अगर आपका सिबिल स्कोर सही है तो आपको लोन आसानी से मिल जाता है लेकिन अगर आपका सिबिल स्कोर कम है, और क्रेडिट हिस्ट्री में पिछला कोई डिफॉल्ट है, इसके कारण बैंक आसानी से लोन नहीं देता है, जिससे बैंक को लगता है कि इस व्यक्ति को पैसा देना जोखिम भरा है, तो बैंक अपने निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए एक गारंटर की मांग करता है , बैंक गारंटर के रूप में ऐसे व्यक्ति को स्वीकार करता है,
जिसका सिबिल स्कोर सही हो, और उसका एक अच्छा इनकम स्रोत हो। जब गारंटर ग्राहक की गारंटी के लिए तैयार हो जाता है तो बैंक लोन की स्वीकृति देता है, यह गारंटी सिर्फ मौखिक नहीं होती, बैंक एक एग्रीमेंट करता है जिस पर गारंटी और ग्राहक दोनों की सहमति होती है, अब ग्राहक के साथ-साथ लोन चुकाने का पूरा दायित्व गारंटर का भी बनता है।
अगर किसी कारणवश ग्राहक लोन चुकाने में असमर्थ होता है तो बैंक गारंटर से संपर्क करता है और लोन का पैसा वसूलता है।
लोन गारंटर बनने के नुकसान :
अगर ग्राहक लोन चुकाने में चूक करता है, ऐसे में लोन चुकाने की जिम्मेदारी गारंटर पर आती है, जैसे कि एग्रीमेंट में तय हुआ था अगर ग्राहक लोन नहीं चूकता है तो गारंटर नहीं है स्वीकार किया था कि पूरे पैसे वह चुकाएगा।
कानूनी कार्रवाई : अगर ग्राहक के बाद गारंटी भी पैसा चुकाने से मना कर देता है। तो बैंक कानूनी कार्यवाही कर सकता है जिसमें बैंक के पास अधिकार होता है कि वह कानूनी कार्रवाई से अपना पैसा वसूल करें, अगर यह पर्सनल लोन या बिजनेस लोन है तो बैंक सेक्शन 25 , में मुकदमा दर्ज कर सकता है, और कानूनी सहायता से अपना पैसा वसूल कर सकता है, अगर लोन सिक्योर्ड है जैसे होम लोन, वाहन लोन, आदि तो बैंक होम लोन के केस में प्रॉपर्टी जब्त कर सकता है, और वाहन लोन में गाड़ी को उठवा सकता है।
क्रेडिट स्कोर : चाहे वह किसी भी प्रकार का लोन हो बैंक के पास सबसे बड़ा अधिकार ग्राहक का सिबिल स्कोर खराब करने का होता है, बैंक सिबिल ब्यूरो को ग्राहक के लोन न चुकाने की जानकारी देता है , जिससे ग्राहक का सिविल खराब हो जाते हैं, ऐसे ही गारंटर के साथ भी किया जाता है, और भविष्य में गारंटर को भी लोन लेने के लिए किसी गारंटर की सहायता लेनी पड़ सकती है।
आपसी संबंध और सामाजिक तनाव : शायद ही कोई ग्राहक जानबूझकर लोन डिफॉल्ट करता हो , लोन न चूका पाना ग्राहक की कोई बड़ी मजबूरी हो सकती है, जैसे मेडिकल इमरजेंसी, नौकरी छूटना, बिजनेस में घाटा या अन्य कोई बड़ा कारण, जो ग्राहक के लोन डिफॉल्ट का कारण बनता है। लेकिन गारंटर के रूप में एक व्यक्ति को भावनात्मक तनाव सहना पड़ सकता है ,
जिससे आपसी रिश्ते खराब हो जाते हैं और लोन डॉक्टर डिफॉल्ट रिश्तो में मनमुटाव का कारण बनता है।
अगर किसी भाई ने अपने भाई के लिए या अन्य की रिश्तेदार के लिए लोन की गारंटी ली है और ऐसे में डिफॉल्ट हो जाता है तो इसका रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और पारिवारिक विवाद एवं मनमुटाव जैसी समस्या उत्पन्न होती है।
लोन गारंटर बनने से पहले ध्यान देने योग्य बातें :
पूरी जानकारी प्राप्त करें : आज के डिजिटल युग में जहां काम उंगलियों पर होते है, ग्राहक सभी जानकारियो को ध्यान से नहीं पढते हैं, इसका कारण उनकी जल्दबाजी, लोन एग्रीमेंट का डिजिटल होना, और लापरवाही हो सकता है, लोन का गारंटर बनना एक जिम्मेदारी भरा कार्य है, जिसमें व्यक्ति को चाहिए कि वह उस एग्रीमेंट को अच्छे से पढ़े और लोन से संबंधित सभी जानकारियां एकत्रित कर ले, जिससे गारंटर को पता रहेगा कि क्या वह लोन के नियमों को सहन कर पाएगा। और अगर लोन की गारंटी के नियमों को तोड़ता है तो उसका क्या नतीजा होगा।
लोन लेने वाले की आर्थिक स्थिति : अगर लोन लेने वाला अच्छी आर्थिक स्थिति में है तो उसके लोन का गारंटर होना ज्यादा जोखिम भरा नहीं है, गारंटर बनने से पहले लोन लेने वाले की आर्थिक स्थिति का अच्छे से आंकलन करें की क्या लोन लेने वाला व्यक्ति उस लोन को चुका की स्थिति में है ? अगर नहीं तो क्या आप लोन का गारंटर बनने के बाद उस लोन को चुकाने के लिए सक्षम हो ? इस आंकलन से आप अनचाहे जोखिम से बच सकते हैं।
सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड लोन : अगर आप किसी व्यक्ति के लोन की गारंटी लेते हैं यानी आप गारंटर बन रहे हैं। तो आपको यह जान लेना बहुत ज्यादा जरूरी है कि वह लोन सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड , क्योंकि सिक्योर्ड लोन में बैंक गारंटर की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी रखता है, जबकि अनसिक्योर्ड लोन में बैंक के पास ऐसा अधिकार नहीं होता है।
इन बातों को ध्यान में रखकर आप एक अनचाहे जोखिम से बच सकते हैं और आपसी संबंध खराब किए बिना एक अच्छा जीवन जी सकते हैं।
आखिर में कुछ….
लोन का गारंटर बनना कोई बुरी बात नहीं है, अगर आपकी वजह से किसी को सहारा मिलता है और अपना जीवन जीने में राहत महसूस होती है तो आपको उसकी मदद करनी चाहिए, बशर्ते आपको लोन लेने वाले व्यक्ति के बारे में सभी जानकारियां होनी चाहिए,
चाहे वह ग्राहक की आर्थिक स्थिति हो, ग्राहक लोन किस उद्देश्य से ले रहा है, मतलब ग्राहक के बारे में वह सभी जानकारियां आपको होनी चाहिए जो जोखिम को कम करती है। क्योंकि गारंटर बनना बाद में मुसीबत का कारण बन जाता है