जानिए नवरात्रि का उत्सव कब से मनाया जाने लगा और किस दिन कौनसी माता की होती है पूजा, भूल कर भी नवरात्र में यह काम नहीं करना चहिए।

नवरात्रि का उत्सव कब से मनाया जाने लगा, इसका सटीक ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह प्राचीन काल से हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता रहा है। इसके आरंभ का संबंध भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक परंपराओं से है। नवरात्रि के पीछे की पौराणिक कथा और उद्देश्य:

1. महिषासुर का वध: नवरात्रि की सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा महिषासुर से जुड़ी है। महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमरत्व का वरदान प्राप्त किया, लेकिन यह वरदान केवल यह था कि उसकी मृत्यु किसी महिला के हाथों होगी। वरदान पाकर महिषासुर ने तीनों लोकों में अत्याचार मचाना शुरू कर दिया। देवताओं ने महादेवी दुर्गा से मदद मांगी, जिन्होंने महिषासुर से नौ दिनों तक युद्ध किया और अंततः दशवें दिन उसका वध किया। इसीलिए, नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।

2. राम-रावण कथा : एक और कथा भगवान राम से जुड़ी है। जब भगवान राम ने रावण के खिलाफ युद्ध की तैयारी की, तो उन्होंने शक्ति प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की। कहा जाता है कि राम ने नौ दिनों तक देवी की आराधना की और दसवें दिन रावण पर विजय प्राप्त की। इसीलिए, नवरात्रि का दसवां दिन विजयदशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

3. सृजन और शक्ति की पूजा : नवरात्रि शक्ति की पूजा का पर्व है, जिसे “देवी” के विभिन्न रूपों में मान्यता दी जाती है। इसका उद्देश्य आत्मशुद्धि, शक्ति की प्राप्ति और भक्तों को अपने जीवन में नकारात्मकता से लड़ने के लिए प्रेरित करना है। क्यों मनाया जाता है नवरात्त्रि का मुख्य उद्देश्य देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करना और उनके गुणों को अपने जीवन में आत्मसात करना है। इस पर्व का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है:

1. आध्यात्मिक शुद्धि: नवरात्रि को आत्मशुद्धि और मन की शांति प्राप्त करने का समय माना जाता है। लोग इस दौरान उपवास रखते हैं, ध्यान करते हैं, और देवी के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हैं।

2. बुराई पर अच्छाई की जीत: नवरात्रि अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है, चाहे वह महिषासुर का वध हो या रावण पर राम की विजय। यह पर्व लोगों को प्रेरित करता है कि जीवन में कठिनाइयों और नकारात्मक शक्तियों का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्य3. सर्दियों और गर्मियों की शुरुआत: नवरात्रि की तिथियां मौसम के बदलाव के साथ जुड़ी होती हैं। चैत्र नवरात्रि सर्दियों के बाद गर्मियों की शुरुआत का सकेत देता है, जबकि शारदीय नवरात्रि मानसून के बाद सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक है। इस समय को शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण का उपयुक्त समय माना जाता है। नवरात्रि की शुरुआत का समय भले ही इतिहास में अस्पष्ट हो, लेकिन इसका महत्व और उद्देश्य स्पष्ट रूप से आध्यात्मिकता, शक्ति, और बुराई पर अच्छाई की विजय से जुड़ा है, जो इसे हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार बनाता हैकिस दिन कौन सी माता की पूजा होती है।

किस दिन कौन सी माता की पूजा होती है

नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो देवी दुर्गा की पूजा और सम्मान के लिए नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह त्यौहार साल में दो बार आता है – चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर)। नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें,” और इन नौ रातों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा होती है:

1. 🙏शैलपुत्री: देवी दुर्गा का पहला रूप, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।

2. 🙏ब्रह्मचारिणी: यह देवी तपस्या और त्याग का प्रतीक हैं।

3.🙏चंद्रघंटा: देवी का यह रूप शौर्य और साहस का प्रतीक है।

4. 🙏कूष्मांडा : देवी का यह रूप सृजन की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

5. 🙏स्कंदमाता: देवी कार्तिकेय की माता हैं और मातृत्व का प्रतीक हैं

6. 🙏कात्यायनी: राक्षस महिषासुर का संहार करने वाली देवी का रूप

7. 🙏कालरात्रि: यह देवी का सबसे उग्र रूप है, जो अज्ञानता और बुराई का नाश करती हैं।

8.🙏महागौरी: यह देवी शांति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती हैं।

9. 🙏सिद्धिदात्री: यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं।नवरात्रि के दौरान लोग उपवास रखते हैं, भक्ति-गीत गाते हैं, और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय, आत्मशुद्धि और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति को बढ़ावा देना है। नवरात्रि के अंतिम दिन को दशहरा या विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है, जो राम की रावण पर विजय का प्रतीक है।

भूल कर भी नवरात्र में ना करें यह काम।

नवरात्रि के दौरान कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए, ताकि इस पवित्र पर्व के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व को बनाए रखा जा सके। यहाँ कुछ मुख्य बातें बताई गई हैं जिनसे नवरात्रि के समय परहेज़ करना चाहिए:

1. ❌नॉन-वेज, शराब और तामसिक भोजन से बचें: नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन, जैसे मांस, अंडे, और लहसुन-प्याज खाने से बचा जाता है। शुद्ध और सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।

2. ❌क्रोध और अहंकार से बचें: इस पवित्र समय में मन को शांत और सकारात्मक बनाए रखना चाहिए। क्रोध, अहंकार, और नकारात्मक भावनाओं से दूरी बनाकर रखें।

3.❌बाल और नाखून न काटें: परंपराओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान बाल और नाखून काटना वर्जित होता है, क्योंकि यह शुद्धता और स्वच्छता का प्रतीक समय होता है

4.❌दैनिक नियमों का उल्लंघन न करें: जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें व्रत के नियमों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। दिनचर्या में अस्थिरता या आलस्य से बचना चाहिए।

5.❌जूठा भोजन न करें: नवरात्रि के दौरान स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जूठा भोजन या गंदे स्थान पर भोजन करने से बचें।

6.❌नकारात्मक या हिंसात्मक विचार न रखें: नवरात्रि आत्मशुद्धि और सकारात्मकता का समय है। ऐसे में हिंसा, ईर्ष्या, द्वेष और अन्य नकारात्मक भावनाओं से बचना चाहिए।

7.❌नकारात्मक क्रियाओं से दूर रहें: जैसे कि किसी के साथ दुर्व्यवहार करना, झूठ बोलना, या दूसरों को हानि पहुंचाना। इन नौ दिनों में अच्छे कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

8. ❌रात को ज्यादा देर तक जागना: नवरात्रि में अति जागरण से बचना चाहिए। नींद की कमी से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे पूजा में ध्यान भटक सकता है।इन बातों का पालन करके नवरात्रि के धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता है।

हम कामना करते हैं। इस नवरात्रि माता रानी आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें जय माता दी 🙏

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