बैंक व्यापारियों को अपनी व्यावसायिक संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए जो पूंजी देता है।बैंक द्वारा बिज़नेस लोन व्यापारी के बिज़नेस संबंधी दस्तावेज देख कर दिया जाता है ।अगर आपका कोई व्यापार है।।और आप अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं ,या आप एक नये व्यापार की शुरुआत करना चाहते हैं ,तो बिज़नेस लोन आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। आज के समय में भारत सरकार छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों को अनेक बिज़नेस लोन की योजना चलाकर व्यापारियों को आगे बढ़ाने के अवसर दे रही है।
बिज़नेस लोन दो तरह के होते हैं। सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन सिक्योर्ड लोन में आवेदक को बैंक के पास अपनी किसी वस्तु को गिरवी रखना होता है। जबकि अनसिक्योर्ड लोन के मामले में बैंक को किसी भी प्रकार की सिक्युरिटी या गारंटी देने की जरूरत नहीं है।
* भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है लोन योजनाएं।
१. मुद्रा लोन योजना।
२. स्टार्टअप इंडिया।
३. पी एम ई जी पी ; प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना।
४. पीएम आर वाइ ; प्रधानमंत्री रोजगार योजना
५. क्रेडिट गारंटी योजना।
६. सी जी टीएम एस इ ; छोटे व्यवसायियों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट ।
– बिज़नेस लोन के प्रकार।
१. ओवरड्राफ्ट लोन।
ओवर ड्राफ्ट एक तरह का लोन अकाउंट होता है। जिसमें बैंक द्वारा एक सीमित क्रेडिट लिमिट दिए जाती है। आप उस क्रेडिट
लिमिट यानी सीमित राशि को जब चाहे आपने ओवरड्राफ्ट अकाउंट से निकाल सकते हैं। आपको ब्याज सिर्फ ओवर ड्राफ्ट
अकाउंट से निकाली गई राशि पर लगता है ना कि पूरी राशि पर।
उदाहरण के लिए ; अगर आपको बैंक द्वारा रुपए 5 लाख का ओवर ड्राफ्ट मिला है और आप उसमें से ₹2 लाख निकालते हैं तो
आपको ब्याज केवल ₹2 लाख का देना पड़ेगा।
२ . टर्म लोन –
टर्म लोन के अनुसार आवेदक को दी जाने वाली राशि उसकी क्रेडिट प्रोफाइल पर निर्भर करती है टर्म लोन कई प्रकार के होते
हैं। जैसे सॉर्ट लोन, लॉन्ग टर्म लोन अन्य स्मॉल बिज़नेस लोन इन सभी लोनस में जो भी राशि आवेदक को दी जाएगी वह उसके
क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करेगाी। ग्राहक को लोन चुकाने का समय 1 साल से 5 साल तक दिया जाता है।
३. वर्किंग कैपिटल लोन।
ज्यादातर वर्किंग कैपिटल लोन व्यापारियों की रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाता है। व्यापारी यह लोन अपने
व्यवसाय की जरूरत के हिसाब से लेते हैं, जैसे = बिज़नेस की ग्रोथ के लिए ,कच्चा माल खरीदने के लिए, मशीनरी खरीदने के
लिए कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए, फैक्टरी का किराया देने के लिए।
४. पॉइंट ऑफ सेल यानी पीओएस लोन
यह लोन व्यापारी को पिछली बिक्री का रिकॉर्ड देख कर दिया जाता है। इस लोन के लिए व्यापारी को पिछले कुछ महीनों की
पीओएस मशीन पर की गई ट्रांजेक्शन्स का ब्योरा देना होता है,यानी स्टेटमेंट । पीओएस वह मशीन है जिस पर क्रेडिट और
डेबिट कार्ड को स्वीप किया जाता है। ये रिकॉर्ड देखकर ही बैंक व्यापारी को लोन देता है जिसके आधार पर बैंक अंदाज़ा लगा
सकता है। यह व्यापारी लोन चुकाने में सक्षम है या नहीं /
बिज़नेस लोन के लिए योग्यता एवं शर्तें
१. आवेदक का सिविल स्कोर 720 से 750 के बीच हो होना जरूरी है।
२. आवेदक का ऑफिस सेटअप होना जरूरी है।
३. आवेदक इनकम टैक्स रिटर्न रखता हो ।
४. बिज़नेस लोन अप्लाई करने के लिए सभी बैंको के अपने अलग अलग नियम हैं ,अगर आवेदक बैंक या एनबीएफसी कंपनी की
जरूरत पूरी करते हैं तो लोन आसानी से मिल जाएगा।
– बिज़नेस लोन लेने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें।
१. लोन लेने से पहले बैंक या कंपनी की ट्रंम एंड कंडीशन को ध्यान से पढ़ें।
२. आपका अधिकार है आप लोन लेते समय बैंक से ब्याज दर को कम करने के लिए बात कर सकते हैं।
३. लोन सेंक्शन लेटर को ध्यान से पढ़ें। क्या वाकई वह लिखा है जो आपको बताया गया है।
४. बिज़नेस लोन लेते समय फ़ाइनैन्स एडवाइजर्स से सलाह जरूर ले ।
महिलाओं के लिए विशेष लोन योजनाए।
महिलाओं को आगे बढ़ाने के अवसर देने के लिए और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बैंक महिला व्यापारियों को विशेष लोन
की योजनाएं दे रहे है।ये लोन महिलाओं को कम ब्याज दर और बिना किसी सिक्योरिटी के दिए जाते हैं। बैंक अधिकारी महिला
व्यापारियों को विशेष रूप से इनकी जानकारी देते हैं। जो महिलाएं व्यापार में पूर्ण रूप से भागीदार नहीं है वे महिलाएं।।विशेष
लोन योजनाओं के लिए योग्य नहीं है।
– महिला व्यापारियों के लिए कुछ मुख्य लोन योजनाएं।
१. महिला ऊधम निधि योजना।
२. महिला समृद्धि योजना।
३. शृंगार और अन्नपूर्णा योजना, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया।
४. देना शक्ति योजना।
५. उद्योगिनी योजना।
अन्य योजनाएं भी महिला व्यवसायियों के लिए उपलब्ध ।ठीक है।।अभी से उस पे?है। आप अपने निजी बैंक से संपर्क करके इनका लाभ ले सकते हैं।