चतुर मैना।

चतुर मैना।

हम अपनी बुद्धिमानी से बड़ी से बड़ी मुसीबत से भी छुटकारा पा सकते हैं।

एक समय की बात है दशरथ नगर में एक राजा के बगीचे में एक बहुत फलदार और छायादार वृक्ष था उसे वृक्ष पर मैंना घोसला बनाकर अपने पति के साथ रहा करती थी।

चिंता की बात यह थी कि इस वृक्ष के नीचे एक अजगर बिल बना कर रहा करता था पर मैंना इस बात से अनजान थी।

एक दिन मैंना ने दो अंडे दिए बधाई देने आसपास की सभी चिड़िया पहुंची पेड़ पर खुशियों का मौहल था सभी चिड़िया के चाचा ने की आवाज सुन अजगर नींद से जाग गया अजगर समझ गया कि इस पेड़ पर जरूर किसी चिड़िया का घोंसला है।

जब शाम को दोनों अपने घोंसले पर वापस लौटे तो घोसले में एंड नहीं थे दोनों बहुत दुखी हुए तभी एक चिड़िया उनके पास आई और कहने लगी की बहन तुम्हारे अंडों को अजगर ने खा का लिया वह इस पेड़ के नीचे रहता है।

यह सुनकर मैंना गुस्से में आ गई आखिर वह अकेली मैंना कर भी क्या सकती थी। पर वह बहुत बुद्धिमान थी उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर अजगर को सबक सिखाने और उससे बदला लेने का उपाय खोज लिया।

उसने एक दिन जब राजा तालाब में नहा रहा था तब मैंना ने रानी का एक हार‌ चुरा लिया। सैनीको ने यह सब देख लिया वह भाला तीर लिए मैंना के पीछे लग गए।

मैंना ने वह हार ले जाकर अजगर के बिल में डाल दिया जब सैनिक हार निकलने लगे तो उनको अजगर दिखाई दिया। सैनिकों ने अपने तेज भाले से अजगर को मार दिया और हार ले लिया।

इस तरह मैंना ने अजगर से छुटकारा पा लिया और दोनों खुशी से रहने लगे सभी पक्षों ने मैंना की बुद्धिमानी की बहुत तारीफ की सभी पक्षी बहुत खुश थे।

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