पीपल के वृक्ष को देवता क्यों माना जाता है।

ओशो

लुकमान के जीवन में उल्लेख है कि एक आदमी को उसने भारत भेजा आयुर्वेद की शिक्षा के लिए और उससे कहा कि तू बबूल के वृक्ष के नीचे सोता हुआ भारत पहुंच। और किसी दूसरे वृक्ष के नीचे ना तो आराम करना और ना ही सोना वह आदमी जब तक भारत आया क्षय रोग से पीड़ित हो गया था। कश्मीर पहुंचकर उसने पहले चिकित्सक को कहा कि मैं तो मर जा रहा हूं मैं तो सिखाने आया था आयुर्वेद अब सीखना है नहीं है सिर्फ मेरी चिकित्सा कर दे मैं ठीक हो जाऊं तो अपने घर वापस लोटो उसे वेद ने उससे कहा तू किसी विशेष वृक्ष के नीचे सोता हुआ तो नहीं आया।

उसे आदमी ने तपाक से कहा हां मुझे मेरे गुरु ने आज्ञा दी थी कि तू बबूल के वृक्ष के नीचे सोता हुआ जाना।
वह वेद भाषा उसने कहा तू कुछ मत कर तू अब नीम की वृक्ष के नीचे सोता हुआ वापस लौट जा वह नीम की वृक्ष के नीचे सोता हुआ वापस लौट गया वह जैसा स्वस्थ चला था वैसा स्वस्थ लुकमान के पास पहुंच गया।

लुकमान ने उससे पूछा तू जिंदा लौट आया अब आयुर्वेद में जरूर कोई राज है।

उसने कहा लेकिन मैंने कुछ चिकित्सा नहीं की।

लुकमान ने कहा इसका कोई सवाल नहीं है क्योंकि मैं तुझे जिस वृक्ष के नीचे सोते हुए भेजा था तू जिंदा लौट नहीं सकता था तु लोट कैसे क्या किसी और वृक्ष के नीचे सोते हुए लोटा।

उसने कहा मुझे आजा जी की अब बबूल से बचे और नीम के नीचे सोता हुआ लौट जाओ तो लुकमान ने कहा कि वह भी जानते हैं।

असल में बबूल अप करता है एनर्जी को आपकी जो एनर्जी है प्राण ऊर्जा है उसे बबूल पीता है बबूल के नीचे भूल कर मत सोना ।

लेकिन पीपल की वृक्ष के नीचे भी मत सोना क्योंकि पीपल का वृक्ष ज्यादा एनर्जी उड़ेल देता है की उसकी वजह से आप बीमार पड़ जाएंगे पीपल का वृक्ष सर्वाधिक शक्ति देने वाला है इसलिए यह हैरानी की बात नहीं है की पीपल का वृक्ष बोधी वृक्ष बन गया। उसका कारण है कि वह अधिक शक्ति दे पाता है मैं अपनी चारों ओर से शक्ति आप पर लुटा देता है लेकिन साधारण आदमी उतनी शक्ति नहीं झेल‌ पाएगा सिर्फ पीपल अकेला वृक्ष है जो रात में भी और दिन ही शक्ति दे रहा है इसलिए उसको देवता कहा जाने लगा उसकी और कोई कारण नहीं है देवता ही हो सकता है जो ले ना और देता ही चला जाए लेता नहीं देता ही है।

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