रावणरावण
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दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन पूरे देश में रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है। भारत में सदियों से अनेक परंपराएं चली आ रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग रावण के जले हुए पुतले की लकड़ियां और राख घर क्यों ले जाते हैं? इस परंपरा के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

रावण

रावण की राख को शुभ क्यों माना जाता है ?

रावण एक प्रकांड ज्ञानी पंडित और शक्तिशाली राजा था। लंकेश महादेव का बहुत बड़ा भक्त था। उसकी विद्वता, तंत्र-मंत्र और ज्योतिष विद्या में गहरी पकड़ थी। मान्यता है कि रावण के शरीर में विशेष शक्तियां थीं, जिनकी ऊर्जा उसके दहन के बाद भी बनी रहती है। यही कारण है कि कई लोग उसकी राख और लकड़ियों को अपने घर ले जाकर पूजा कक्ष या घर के मुख्य स्थान पर रखते हैं।

धन-धान्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक :

रावण की राख और लकड़ी को घर में रखने से परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह मान्यता विशेष रूप से गृहणियों के बीच प्रचलित है। बुजुर्गों का मानना है कि यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने का माध्यम है।

बांस की लकड़ी का विशेष महत्व :

रावण के पुतले में प्रयुक्त बांस की लकड़ी को अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह लकड़ी घर में रखने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और गृहस्थ जीवन में शांति बनी रहती है।

राख को घर में रखने की परंपरा :

कई लोग रावण दहन के बाद तुरंत उसकी जली लकड़ियां इकट्ठा कर लेते हैं

इन्हें पहले ठंडा किया जाता है और फिर घर लाकर पूजा स्थान में रखा जाता है।

कुछ लोग इसे तिजोरी या अलमारी में भी रखते हैं, जिससे घर में धन और सुख-शांति बनी रहे।

क्या है ज्योतिषीय कारण ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रावण के पास शनिदेव की विशेष कृपा थी और वह नौ ग्रहों का ज्ञाता था। इसलिए उसकी जली हुई लकड़ी या राख को घर में रखने से ग्रहों की दशा अनुकूल होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

रावण दहन से जुड़ा एक प्रसिद्ध किस्सा :

प्राचीन कथाओं के अनुसार, एक समय एक निर्धन ब्राह्मण था जो आर्थिक संकटों से घिरा हुआ था। उसने अपने गुरुओं से उपाय पूछा, तो उन्हें दशहरे के दिन रावण दहन के बाद उसकी जली लकड़ियां घर लाने की सलाह दी गई। ब्राह्मण ने ऐसा ही किया और आश्चर्यजनक रूप से कुछ ही महीनों में उसके घर में धन-धान्य की भरमार हो गई। तब से शायद यह मान्यता बनी कि रावण की जली हुई लकड़ियां समृद्धि लाती हैं।

आखिर में कुछ :

रावण दहन केवल बुराई के अंत का प्रतीक नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी कुछ अनूठी मान्यताएं भी हैं। उसकी राख और लकड़ियों को घर में रखना सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी लोग इसे निभाते हैं। अब यह बता पाना तो मुश्किल है कि यह मानता कितनी सच और कितनी झूठ है। लेकिन लोगों का ऐसा विश्वास है इसलिए कुछ जगह पर लोग ऐसा करते हैं।
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क्या आप भी इस परंपरा को मानते हैं? हमें कमेंट में बताएं !

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