गर्मी का मौसम आते ही तेज धूप और बढ़ती तापमान का असर दिख रहा है। विशेष रूप से मई और जून के महीनों में, जब भारत के कई राज्यों में हीट वेव (लू) का ख़तरा बढ़ जाता है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इस साल कई राज्यों में लू को लेकर संभावनाएं जारी की हैं। हीट वेव केवल गर्मी बढ़ाने का काम नहीं करता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। इस लेख में हम हीट वेव क्या है, इसके लक्षण और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

हीट वेव क्या होता है ?
हीट वेव या लू एक मौसम संबंधी स्थिति है जिसमें कई दिनों तक अत्यधिक गर्मी होती है। आमतौर पर जब किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है और लगातार दो-तीन दिन तक बना रहता है, तो इसे हिट वेव कहा जाता है। यह स्थिति मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
भारत में तापमान वेव के अनुसार :
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, किसी भी क्षेत्र में तापमान वेव में अधिकतम तापमान होना चाहिए:
1. मैदानी क्षेत्र में : तापमान 45°C या इससे अधिक होने पर तापमान वेव घोषित किया जाता है।
2. पहाड़ी क्षेत्र में: तापमान 30°C या इससे अधिक होने पर इसे गर्म मौसम माना जाता है।
3. तटीय क्षेत्र में : जब तापमान 37°C से अधिक हो और सामान्य से कम से कम 4.5°C अधिक हो, तो इसे हीट वेव घोषित किया जाता है।
हिट वेव के कारण :
हीट वेव में कई प्राकृतिक और मानवजनित लक्षण उत्पन्न होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
1. ग्लोबल वॉर्मिंग : धरती का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे लू की घटनाएं बार-बार और अधिक तीव्र हो रही हैं।
2. शहरीकरण : जंगल और हरियाली की कमी को बढ़ाने में योगदान देते हैं।
3. मौसम परिवर्तन : वैज्ञानिक मनोविज्ञान के कारण हवा की गति कम हो जाती है, जिससे गर्मी लंबे समय तक बनी रहती है।
4. एंटी-साइक्लोनिक कंडीशन : जब उच्च दबाव वाले क्षेत्र बनते हैं, तो वे गर्म हवा को रोककर तापमान को असामान्य रूप से बढ़ा देते हैं।
हेट वेव के नुकसान :
हीट वेव न केवल अशानीय गर्मी पैदा करता है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और घातक संकट को भी जन्म देता है।
1. स्वास्थ्य पर प्रभाव :
हीट वेव के दौरान शरीर का तापमान स्तर नहीं रहता है, जिससे कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं.
हीट स्ट्रोक : शरीर का तापमान अचानक बहुत अधिक बढ़ जाता है, जिससे अस्थमा या गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
डाइहाइड्रेशन : अधिक मूंगफली से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे कमजोरी और सिरदर्द हो सकता है।
हाइपरथर्मिया : शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है जिसका आंतरिक प्रभाव दिखता है।
ब्लड वॉल्यूम में बदलाव- संकेत : गर्मी का कारण लो या हाई ब्लड वॉल्यूम की समस्या हो सकती है।
स्किन मास्क : तेज धूप के कारण सनबर्न, स्किन एलर्जी और रैशेज हो सकते हैं।
खाद्य विषाक्तता : गर्मी के कारण भोजन जल्दी खराब हो जाता है, जिससे पेट खराब हो सकता है।
रेस्पिरेटरी डिजीज : गर्म हवा और धूल के कारण सांस और अन्य सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
2. पर्यावरण पर प्रभाव :
फसलों को नुकसान : अधिक गर्मी के कारण पानी की कमी हो जाती है, जिससे फसलें सूख सकती हैं।
पशु और पक्षियों पर प्रभाव : अत्यधिक गर्मी से पशु-पक्षियों के लिए भी पानी और भोजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
जल संकट : नदियों, तालाबों और झीलों में पानी का स्तर गिर रहा है, जिससे पीने में पानी की कमी हो सकती है।

2025 में किस क्षेत्र में हीट वेव का खतरा अधिक है ?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया है कि अगले वर्षों में राज्यों में हीट वेव का खतरा अधिक रहेगा :
- उत्तर भारत : दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान
- मध्य भारत : मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र
- पूर्वी भारत : बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा
- दक्षिण भारत : इस्लाम, आंध्र प्रदेश प्रदेश, कर्नाटक
- पश्चिमी भारत : गुजरात और कुछ हिस्सों में महाराष्ट्र के
विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में तापमान 45°C से अधिक रहने की संभावना है।
हाइट वेव से बचने के उपाय :
हिट वेव से बचने के लिए कुछ सावधानियां अपनाकर हम खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं :
1. बाहर से जाने की सलाह –
सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक के बीच धूप में बाहर से जाने की सलाह।
अगर बाहर जाना ज़रूरी हो, तो छाता, टोपी या दुपट्टा का उपयोग करें।
2. मान्यता प्राप्त लाइव – नियमित रूप से पानी, नारियल पानी, ओ.आर.जी., छाछ, लस्सी, और नींबू पानी का सेवन करें।
कैफीन और शराब से मुक्ति क्योंकि ये डाय उत्पाद को बेचे जाते हैं।
3. कपड़े : सूती और प्लास्टिक के कपड़े के कपड़े ताकि शरीर को ठंडा रखा जा सके। बाहर जाएँ समय सनग्लास और सनस्क्रीन का उपयोग करें।
4. भोजन पर ध्यान दें : प्रभाव और सुपाच्य भोजन। बासी और स्ट्रीट रेस्तरां से बचे हुए, क्योंकि गर्मी में रेस्तरां जल्दी पठते हैं।
5. घर : घर को ठंडा रखें, घर में सूरज की रोशनी और दरवाजे बंद रखें ताकि सूरज की गर्मी अंदर न आए। नियमित रूप से ठंडे पानी से स्नान करें।
आखिर में कुछ :
हित वेव से बचने के लिए जागरूकता और सही उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का शिकार सबसे ज्यादा होता है, इसलिए उनकी विशेष देखभाल करें। इस साल कई राज्यों और राज्यों में भीषण गर्मी की आशंका है, इसलिए अभी से तैयारी कर लें अपनी सेहत का ध्यान।
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