क्या आपने कभी सोचा है कि स्पेस में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन { International Space Station } धरती पर क्यों नहीं गिरता? यह सवाल कई लोगों के मन में आता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में कैसे रुका रहता है और यह पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरता।
स्पेस स्टेशन क्या होता है ?
स्पेस स्टेशन एक कृत्रिम उपग्रह है, जिसे पृथ्वी की कक्षा में वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोगों के लिए स्थापित किया गया है। यहां अंतरिक्ष यात्री रहते हैं और वैज्ञानिक परीक्षण करते हैं, जिससे नई-नई तकनीकें और खोजें सामने आती हैं। यह असंतुलित धातु से बना है और इसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया है ताकि यह पृथ्वी की कक्षा में स्थिर रहे।

स्पेस स्टेशन पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरता ?
1. गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव :
स्पेस स्टेशन पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होता है, जहां पर यह गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव रहता है। पृथ्वी की ओर से ज्वालामुखी के बावजूद, यह कक्षा में रहता है क्योंकि इसकी गति इतनी तेज़ है कि यह गुरुत्वाकर्षण को रास दिलाता है।
2. कक्षा (कक्षा) में गति :
स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर 27,600 किमी प्रति घंटे की गति से घूमती है। यह गति इतनी तीव्र है कि यह पृथ्वी की सतह पर गिरने के स्थान पर अपनी छवियाँ बनाये रखती है। यह निरंतर गति के कारण अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में बना रहता है।
3. सेंट्रीफ्यूगल फोर्स (केन्द्रीय बल) :
जब कोई वस्तु किसी जेनरेटर पथ पर घूमती है, तो उसमें एक केन्द्रीय बल उत्पन्न होता है, जिसे सेंट्रीफ्यूगल फोर्स कहा जाता है। यही बल स्पेस स्टेशन को पृथ्वी पर स्थापित किया गया है और इसका निर्माण किया जा रहा है।
4. माइक्रोग्रेविटी का अनुभव :
स्पेस स्टेशन में मौजूद अंतरिक्ष यात्री मैक्रोग्रेविटी का अनुभव करते हैं। इसका मतलब यह है कि वे भारहीन महसूस करते हैं क्योंकि वे और अंतरिक्ष स्टेशन दोनों समान गति से पृथ्वी की तुलना कर रहे हैं। यह उन्हें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर देता है।
स्पेस स्टेशन में क्या होता है ? :
स्पेस स्टेशन एक उन्नत वैज्ञानिक तकनीक है जहां विभिन्न प्रयोग और शोध कार्य किए जाते हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण कार्य दिए गए हैं:
वातावरण और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ और पर्यावरण पर नजर रखी जा रही है।
जीव विज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान स्पेस में रहने वाले मानव शरीर पर प्रभाव वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
नवीन तकनीक का परीक्षण अंतरिक्ष में उपयोगी नई तकनीक विकसित की जाती है, जिसका उपयोग भविष्य के मिशनों में किया जाता है।
अंतरिक्ष में निवास की विशिष्टता का अध्ययन यह वैज्ञानिक भी जांचते हैं कि कौन सा मनुष्य लंबे समय तक स्पेस में रह सकता है और अन्य संकेतों पर जीवन की भविष्यवाणी क्या है।

भविष्य में भारत का स्पेस स्टेशन :
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने की योजना बनाई है। साथ ही, 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री मून पर कदम। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और इसे विश्व स्तर पर एक अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया जाएगा।
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स्पेस स्टेशन का पृथ्वी की कक्षा में टिके रहने का रहस्य उसकी तीव्र गति, गुरुत्वाकर्षण बल, केंद्रीय बल और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में छिपा है। यह विज्ञान और तकनीक का एक अद्भुत नमूना है, जो हमें अंतरिक्ष की नई धरती से परिचित कराता है। भविष्य में, भारत भी अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करके इस क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को खोजने के लिए तैयार है।
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नमस्कार दोस्तों ! मै संदीप राना ! लेखक बस शब्दों से नहीं, विचारों से बात करता है। राजनीति, फाइनेंस ,इतिहास, और जीवन के हर कोने से जुड़े मुद्दों पर लिखना मुझे पसंद है। मेरा मकसद है जटिल बातों को आसान भाषा में आप तक पहुंचाना, ताकि पढ़ते-पढ़ते आप सिर्फ समझें नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर हो जाएं।
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