सांप्रदायिक हिंसा बिल आज संसद में

सांप्रदायिक हिंसा बिल आज संसद में

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सोमवार कोई कैबिनेट कमेटी की मीटिंग में सांप्रदायिकता हिंसा रोकने के विधायक को मौजूद दी गई इस मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है भाजपा नेता नरेंद्र मोदी के जोरदार विरोधी के बाद सरकार ने बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव करने को स्वीकार कर लिया है अब इस कम्युनिटी न्यूट्रल यानी समुदायों के प्रति तक स्थल बनाया गया है पहले प्रस्ताव प्रस्ताव में था कि प्रभावित इलाके में बहुसंख्यक समुदाय को अहिंसा का जिम्मेदार माना जाएगा अहिंसा से निपटने में विधायिका की भूमिका को भी काम कर दिया गया है हिंसा की स्थिति में केंद्र की सीधे दखल के प्रस्ताव को नरम बना दिया गया है अब राज्य चाहे तो हालात से निपटने के लिए सेवा आदि की मांग कर सकते हैं

यह कहा गया था प्रस्तावित विधायक में

प्रिवेशन आफ कम्युनल वायरलेस बिल 2013 का मकसद केंद्र राज्य और उनके अधिकारियों को सांप्रदायिक अहिंसा को ट्रांसपेरेंसी के साथ रोड करने के लिए जिम्मेदार बनना है इस कानूनी के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को जिम्मेदारी दी गई है कास्ट शेड्यूल ट्राइब्स धार्मिक और भाषण अल्पसंख्यक को निशाना बनाकर की गई हिसा को रोकने के लिए अपना अधिकारों का इस्तेमाल करें कोई भी व्यक्ति जो अकेले किसी संस्था का हिस्सा बनकर या किसी संस्था के प्रभाव में किसी खास धार्मिक का भाषण पहचान वाले ग्रुप के खिलाफ गैर कानूनी ढंग से अहिंसा धमकी या यौन पीड़ित में शामिल होता है तो वह संगठित संप्रदाय का उपयोग के ग्रुप जो परिभाषा दी गई है इसका मतलब धार्मिक किया भाषण तौर पर अल्पसंख्यकों से है इस कानून के जरिए है प्रोपेगेंडा कम्युनल वायरलेस के लिए फंडिंग उत्पीड़न और पब्लिक सर्वेंट द्वारा ड्यूटी को ना निभाना अपराध की श्रेणी में लाया गया है

 

य ब्यूरो सेक्स और पब्लिक सर्वेंट के दंगों से निपटने के दौरान चुपके प्रति उन्हें जवाब दे बनाया गया है दंगों कंट्रोल करना या रोकने में नाकाम रहने पर एफआईआर दर्ज की जा सकती है अधिकारियों द्वारा एक खाल धार्मिक या भाषण पहचान वाले ग्रुप के खिलाफ जानबूझकर पीड़ा पहुंच जाने की स्थिति में जमाने का प्रावधान भी है जूनियर सहयोगी द्वारा दंगों को रोकने में नाकामी की स्थिति में या फ़ोर्सज‌ को ठीक ढंग से सुपरवाइज न करने की स्थिति में सीनियर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है
संस्कृत सांप्रदायिक अहिंसा के लिए उम्र प्यार की नफरत भरा प्रचार चलाने के लिए 3 साल तक की सजा जुर्माना देने का प्रावधान है ड्यूटी से ठीक ड्यूटी ठीक से न निभाने के लिए तो उसे 5 साल तक की क्या दो आदेश के लंदन की दशा में 10 साल तक की सजा तय की गई है

इसीलिए हो रहा था विरोध

इस बिल के प्रावधानों को लेकर भाजपा के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख चुके हैं उपाय को समर्थन देने वाले परिया सपा और बीएसपी भी इसी राज्यों के अधिकार में दखल पढ़ने का आदेश जाता चुकी है तृणमूल कांग्रेस तमिलनाडु की आई एफडीएम और उड़ीसा के बीजे डी ने भी इस तरह की आसान का जताई है
मोदी का कहना था कि है बिल धार्मिक और भाषा आधार पर समाज को बांटने वाला है क्योंकि इससे धार्मिक और भाषा पहचान हमारे समाज में मजबूत हो चलेगी और आसानी से अहिंसा की साधारण घटना को भी संप्रदाय का रंग दिया जा सकेगा या कानून धार्मिक और भाषण पहचान वाले नागरिकों के लिए आपराधिक कर्म को अलग-अलग ढंग से अप्लाई करने का मौका दे सकता है
बल के ब्रिच‌ कमांड रिस्पांसिबिलिटी के प्रावधान के मुताबिक एक पब्लिक सर्वेंट को उसके महत्व है तो की नाकामी के लिए सजा का प्रावधान किया गया है बीजेपी का कहना था की इसी वजह से सीनियर अधिकारी और आपराधिक उत्तरदायित्व के दर से तखल देने से दूरी बनाए रखेंगे और जूनियर को फील्ड में अपनी हालत पर छोड़ देंगे साथी अधिकारियों को राजनीतिक तौर पर निशाना बनाए जाने की कोशिश को बल मिलेगा

 

दंगों के पीड़ित अल्पसंख्यक समूह धार्मिक भाषा और संस्कृति किसी भी प्रकार के हो सकते हैं इसके तहत अनुसूचित जाति जनजाति समूह हो की रक्षा के उपाय में भी है देखा जाए तो सड़तिक रूप से जहां हिंदू अल्पसंख्यक होंगे वह उन्हें इस कानून का लाभ मिलेगा लेकिन इन इलाकों में जहां अन्य समुदाय और इनका अंतर ज्यादा नहीं है किस तरह से कार्रवाई होगी यह स्पष्ट
नहीं किया गया है

 

एक से अधिक अल्पसंख्यक समूह के बीच ताकारों की स्थिति में क्या हो सकता है इस बारे में बिल कोई साफ तौर पर नजरिया पैसे नहीं करता है बीजेपी इस बिल को लेकर प्रमुख तौर पर दलील दे रही है कि इस बिल से ऐसा इंप्रेशन पड़ेगा कि सांप्रदायिक हिंसा केवल बहुसंख्यक वर्ग ही करता है

 

और बिल की धारा 6 में साफ किया गया है कि इसके अंतर्गत एससी एसटी के खिलाफ हुआ अपराध उन अपराधों के अलावा जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम 1989 के अधीन आते हैं बिल के विरोधियों का कहना है कि यह एक ही अपराधी के लिए दो बार सजा दी जा सकती है
कुछ आलोचकों का कहना है की धारा 7 के मुताबिक दंगों के हालात में अगर बहुसंख्यक समुदाय से जुड़ी महिला के साथ रेप होता है तो यह इस बिल के तहत अपराधी की श्रेणी में नहीं आएगा

 

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें जो आपको हमेशा स्वस्थ और सेहतमद रखेगी

मैं अकेला खुश कैसे रह सकता हूं

कौन था रावण क्या वह असुर था

जाने चमगादड़ उल्टे क्यों लटकते हैं वह जमीन से उड़ान क्यों नहीं भर पाते इंटरेस्टिंग फैक्ट

प्ले स्टोर से हटाए गूगल ने 17 ऐप अगर आपके फ़ोन में है तो कर दीजिए डिलीट

जानिए एक बैंक अकाउंट से आप कितने यूपीआई आईडी बना सकते हैं पूरी डिटेल।

जानिए अपनी लाइफ की वैल्यू।

क्या धीरज साहू को वापस मिलेंगे पैसे? जानिए 351 करोड़ का आयकर विभाग क्या करेगा?

अगर आप भी लेने जा रहे हैं पर्सनल लोन तो ये ऑप्शन आपके काम को और आसान कर देगा।

जानिए इंस्टाग्राम के सीईओ की दिलचस्प कहानी कभी करते थे वेटर का काम।

26 नवंबर को संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है, जानिए।

55+ सफलता के अनमोल विचार कामयाबी के मंत्र

ऑनलाइन पेमेंट पर रोक 31 दिसंबर से गूगल पे, पेटीएम और फोनपे UPI आईडी होंगी बंद जानिए क्यों?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *