रविदास जयंती का इतिहास

भारत के महान संतों में एक संत गुरु रविदास जी हुए। उनकी जयंती माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। रविदास जी ने अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक कल्याण और ईश्वर की भक्ति के लिए समर्पित कर दिया।

संत गुरु रविदास जी महान संत थे। जिन्होंने प्रेम का पाठ पढ़ाया। रविदास जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाज से जाति भेदभाव को दूर करने और समाज सुधार एवं समाज कल्याण कार्यों में समर्पित कर दिया।

रविदास जी का इतिहास।

रविदास जी को रविदास रोहिदास और हुई रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है संत गुरु रविदास का जन्म 13 ई में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। हर साल माघ पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती को मनाया जाता है। संत रविदास भक्ति आंदोलन के एक भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे इन्होंने जाति का भेदभाव मतकर लोगों को एकजुट करने के लिए प्रोत्साहित किया रविदास जी की शिक्षाएं विशेष कर रविदासिया समुदाय को बहुत प्रभावित करती है और वह जाति पत्तियां लिंग की परवाह किए बगैर सभी लोगों की समानता में विश्वास करते हैं।

रविदास जयंती का महत्व।

हर साल संत रविदास जी के सम्मान में माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविदास जयंती मनाई जाती है रविदास धर्म के लिए इस दिन का वार्षिक मौलिक महत्व है। भारत में रविदास जी की जयंती के इस विशेष अवसर को मनाने के लिए विभिन्न देशों से भी लोग आते हैं और भक्त अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं कीर्तन भजन का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन दास जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को उनके शिष्य याद करते हैं और उससे प्रेरणा लेते हैं।

 

 

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