म्यूचुअल फंड एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो निवेशकों के समूह से धन जुटाकर उसे विभिन्न प्रकार के निवेशों, जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड्स, और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश करता है। म्यूचुअल फंड्स का संचालन अनुभवी फंड मैनेजर्स द्वारा किया जाता है जो निवेश के निर्णय लेते हैं और फंड की पोर्टफोलियो का प्रबंधन करते हैं। म्यूचुअल फंड्स निवेशकों को इच्छा के अनुसार विकल्प देता है , म्युचुअल फंड में निवेशकों को ज्यादा गहरी रिसर्च नहीं करनी पड़ती क्योंकि म्युचुअल फंड्स को बेहतरीन वित्तीय अनुभवी मैनेजर्स संभालते हैं ।
म्यूचुअल फंड्स के मुख्य प्रकार
इक्विटी फंड्स (Equity Funds):
ये फंड्स मुख्य रूप से शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
इनके द्वारा हाई रिटर्न प्राप्त हो सकता है, लेकिन मार्केट में जो भी गतिविधि होती है उसके साथ ही यहां रिस्क भी काफी होता है।
इन्हें ग्रोथ फंड्स भी कहा जाता है।
बॉन्ड फंड्स (Bond Funds):
ये फंड्स मुख्य रूप से बांड्स और अन्य ऋण साधनों में निवेश करते हैं।
इन्हें फिक्स्ड-इनकम फंड्स भी कहा जाता है।
इनमें अपेक्षाकृत कम जोखिम होता है अगर आप बॉन्ड में इन्वेस्ट करते हैं तो यहां इक्विटी के मुकाबले रिस्क काफी कम है और नियमित आय के लिए यह एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
मनी मार्केट फंड्स (Money Market Funds):
ये फंड्स नकद और नकदी जैसे निवेशों में निवेश करते हैं।
ये शॉर्ट टर्म निवेशों के लिए अच्छा ऑप्शन हैं और इनमें जोखिम कम होता है।
हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds):
ये फंड्स इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश करते हैं।
इनमें मध्यम जोखिम और रिटर्न होते हैं। यानी आप कह सकते हैं यह एक बीच का रास्ता है जहां रिस्क और रिटर्न बराबर हो सकते हैं
इन्हें बैलेंस्ड फंड्स भी कहा जाता है।
इंडेक्स फंड्स (Index Funds):
इंडेक्स फंड एक प्रकार का एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है जिस किसी विशिष्ट वित्तीय बाजार सूचकांक के प्रदर्शन को दोहराने के लिए डिजाइन किया गया है।
ये फंड्स किसी विशेष सूचकांक, जैसे निफ्टी या सेंसेक्स, को ट्रैक करते हैं।
इनमें अपेक्षाकृत कम प्रबंधन शुल्क होता है।
इंटरनेशनल फंड्स (International Funds):
इंटरनेशनल फंड यानी अंतर्राष्ट्रीय कोष यहां विदेशी कंपनियों में निवेश किया जाता है देश के बाहर की कंपनियों में निवेश करने से विविधता लाने, जोखिम को संतुलित करने और वैश्विक अवसरों को खोने से बचाने में मदद मिल सकती है। अंतर्राष्ट्रीय फंड में अलग-अलग उच्च स्तरीय विदेशी कंपनियां , उभरते बाजार, एवं अन्य विदेशी निवेश विकल्प शामिल हो सकते हैं एवं रिस्क और रिटर्न के विभिन्न स्तर प्रदान कर सकते हैं।
यहां निवेशकों को वैश्विक विविधीकरण का लाभ मिलता है।
सेक्टर फंड्स (Sector Funds):
ये फंड्स किसी विशेष उद्योग या क्षेत्र में निवेश करते हैं, जैसे टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, आदि।
इनमें उच्च जोखिम होता है, क्योंकि ये किसी एक सेक्टर पर केंद्रित होते हैं।
सेक्टर फंड मुख्य रूप से उद्योग के दायरे में कार्य करने वाले एक विशिष्ट सेक्टर और कंपनियों में निवेश करते हैं . वर्तमान अर्थव्यवस्था कई सेक्टरों का एक मिश्रण है, और ये फंड निवेशकों को अपनी विशेष आवश्यकताओं के आधार पर एक ही विभाग चुनने की अनुमति देते हैं.
टैक्स सेविंग फंड्स (Tax Saving Funds – ELSS):
इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम यानी ELSS यह फंड अपनी संपत्ति का कम से कम 80% इक्विटी में निवेश करते हैं। जो आयकर अधिनियम 1961 80c के तहत निवेश को टैक्स लाभ प्रदान करते हैं
ये फंड्स निवेशकों को टैक्स बचत का लाभ देते हैं।
इनका लॉक-इन पीरियड तीन साल होता है। जो निवेशकों के बीच इक्विटी से संबंधित इंस्ट्रूमेंट मैं पैसा लगाते हुए लंबी अवधि के निवेश के लिए एक अच्छी आदत विकसित करती है
म्यूचुअल फंड्स के लाभ:
विविधीकरण (Diversification): म्यूचुअल फंड्स विभिन्न प्रकार के निवेशों में निवेश करते हैं, जिससे जोखिम कम होता है।
पेशेवर प्रबंधन (Professional Management): निवेशकों का धन अनुभवी और पेशेवर फंड मैनेजर्स द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
सुविधाजनक (Convenient): निवेशक छोटे-छोटे राशियों में भी निवेश कर सकते हैं और किसी भी समय निवेश कर सकते हैं।
लिक्विडिटी (Liquidity): ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स में निवेशक कभी भी अपने यूनिट्स को रिडीम कर सकते हैं।
सावधानीपूर्वक निवेश (Disciplined Investment): SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से नियमित अंतराल पर निवेश किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश के जोखिम:
बाजार रिस्क (Market Risk): बाजार की परिस्थितियों के अनुसार निवेश का मूल्य घट-बढ़ सकता है।
क्रेडिट जोखिम (Credit Risk): बॉन्ड्स में निवेश करने वाले फंड्स के लिए, बांड जारीकर्ता द्वारा डिफॉल्ट का जोखिम होता है।
मुद्रास्फीति जोखिम (Inflation Risk): मुद्रास्फीति से रिटर्न की वास्तविक क्रय शक्ति घट सकती है।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले, निवेशकों को अपने निवेश उद्देश्यों, रिस्क सहनशीलता, और समयावधि पर विचार करना बेहतर हो सकता है। इसके अलावा, फंड के प्रदर्शन, खर्च अनुपात, और मैनेजमेंट गुणवत्ता की भी जांच करनी चाहिए।
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