मोबाइल चलते हुए बच्चे को हार्ट अटैक, एक बहन ने ले ली भाई की जान मोबाइल इंसान में भर रहा है गुस्सा।

फोन की लत ने ले ली जान यह खबर हैरान करने वाली है। एक बहन ने भाई को गेम खेलने से मना करने पर भाई ने ले ली बहन की जान।

अमरोहा में 11वीं के छात्र की मोबाइल फोन चलाते समय मौत हो गई। डॉक्टरों मौत का कारण हार्ट अटैक बताया। और इसी तरह हरियाणा के फरीदाबाद में बीते कुछ सालों पहले एक लड़के ने मोबाइल गेम खेलने से रोकने पर अपनी बड़ी बहन की गला दबाकर हत्या कर दी थी।

और इसी इलाके में एक बहन ने अपने भाई को मार दिया था। क्योंकि वह मोबाइल पर गेम खेल रहा था और उससे फोन नहीं दे रहा था।

ये घटनाएं बताती है। व्यक्ति का मोबाइल से इतना इमोशनल कनेक्शन मजबूत है। जिसकी शुरुआत डिसऑर्डर की तरह होती है। और जो बीमारी का रूप ले लेती है। इस मानसिक बीमारी की कैटेगरी में शामिल करने के लिए साइकोलॉजी का दुनिया भर में रिसर्च चल रहा है।

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस मुंबई की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट सौम्य निगम बताती है। कि इंसान को स्मार्टफोन की लत लगती जा रही है। यह तंबाकू और सिगरेट से बुरी लत है। जैसे इंसान को नशे की तलब होती है ठीक वैसे ही इंसान को मोबाइल देखने की क्रेविंग होती है। अगर व्यक्ति को मोबाइल ना मिले तो उसे खाली खाली सा महसूस होने लगता है। उसका मन बेचैन होता है अगर बच्चे और बड़ों को मोबाइल देखने से मना कर दिया जाए तो वह बौखला जाता है। रोज मोबाइल सबसे पर सबसे ज्यादा समय बीतने वाला देश की सूची में भारत आठवें पायदान पर आता है। हाल ही में एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में औसतन एक भारतीय ने रोजाना 24 घंटे में 5 घंटे मोबाइल देखने में खर्च किया है।

नींद में कटौती इंसान को बना रही है अहिंसक।

मोबाइल के आदी हो चुके लोग अपनी नींद में कटौती कर रात भर स्मार्टफोन देखते हैं। इससे इंसान में स्ट्रेस फ्रस्टेशन और उनके दिमाग पर नेगेटिव असर पड़ रहा है। और इन्हीं सब चीजों से इंसान गुस्सैला बन रहा है जिसका असर बातचीत में भी नजर आता है।

मोबाइल आपके दिमाग को गुमराह कर रहा है।

प्रोसिडिंग ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस में छपी स्टडी के मुताबिक रात में बिस्तर पर स्मार्टफोन दिमाग को झांसा दे रहा है।

हमारे आंखों में रोशनी पहचानने वाला एक प्रोटीन मौजूद होता है।

और यही प्रोटीन रोशनी की जानकारी हमारे मस्तिष्क तक पहुंचता है। फिर दिमाग अंगों को काम बताता है।

ज्यादातर स्मार्टफोन से ब्लू लाइट निकलती है। और आमतौर पर सुबह नीली रोशनी होती है।

और यह ब्लू लाइट देखकर ही दिमाग से बॉडी को नींद से जागने का अलर्ट मिलता है।
रात में हमारे आंखों के सामने नीली रोशनी रहेगी तो दिमाग शरीर को बताएगा कि यह सुबह का समय है।

और ब्लू लाइट के ही कारण नींद में मदद कर मेलाटोनिक हार्मोन भी मस्तिष्क में रिलीज नहीं होता है।

दिन में लगभग 60 बार फोन अनलॉक होता है।

एक इंसान अपने फोन को कितनी बार निहारता है। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए केलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी साइकोलॉजी के प्रोफेसर लैरी रोजन ने 200 से ज्यादा छात्रों पर की सर्वो के नतीजे में बताया नौजवान 1 दिन में करीब 60 बार फोन को अनलॉक करता है।

ऐसे में बहुत जरूरी है की खुद खुद को मोबाइल से बेहिसाब और बेतहाशा इस्तेमाल करने से खुद को बचाएं। जितना काम हो उतना ही मोबाइल पर समय बिताए बाकी टाइम परिवार और दोस्तों को दे आपकी जिंदगी खुशहाल होगी।

|   जय हिंद जय भारत |

Neetu Rana (Content  Writer)

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