जब कावड़ यात्रा पर आपत्ति नहीं, तो नमाज पर आपत्ति क्यों, चंद्रशेखर आजाद का वायरल वीडियो,

2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन 80 में से 79 पर कब्जा किया। और इन दोनों गठबंधनों को हराकर नगीना सीट चंद्रशेखर आजाद ने जीती है। उर्फ रावण , भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अपनी आजाद समाज पार्टी बनाया है। पहली पारी चुनाव मैदान में उतरकर बाजी मार ली है। चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी और भाजपा के प्रत्याशी को हराया ही नहीं बल्कि मायावती के बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी की जमानत तक जब्त कर ली। क्योंकि पिछली बार नगीना सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने कब्जा कर लिया था। जब मंगलवार को मायावती ने अपनी पार्टी की हर की समीक्षा की तो उसमें नगीना और चंद्रशेखर पर भी बात हुई। चंद्रशेखर को लेकर मायावती की चिंता बढ़ गई, चंद्रशेखर आजाद दलितों में आइकॉन की तरह उभरे हैं।

 

 

नगीना सीट से चंद्रशेखर आजाद ने 5 लाख 12 हजार 552 वोट हासिल की, और भाजपा के प्रत्याशी मनोज कुमार को 1 लाख 2 हजार 374 वोट  हासिल कर सके। सबसे ज्यादा हालत खराब बसपा की हो गई।

 

 

 

शेखर आजाद का अपने दम पर चुनाव जीतना दलित राजनीति की नई शुरुआत रूप में देखा जा रहा है। बसपा अभी तक दलित वोट बैंक पर अधिकार जताती  रही , लेकिन चंद्रशेखर की जीत को लेकर यूपी के वोट बैंक को लेकर नयी बहस छेड़ दी है।

 

यूपी के दलित राजनीति के दूरी बसपा के आसपास ही मानी जाती है। श्री काशीराम जी के बाद मायावती ने पार्टी की कमान संभाली। और उन्होंने पार्टी का पहला लोकसभा चुनाव बिजनौर सीट से वर्ष 1989 में  जीती , सहारनपुर की एक सीट में मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा था। फिर धीरे-धीरे मायावती का ग्राफ पश्चिमी यूपी में बढ़ता गया। और वह चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनी। साल 2017 के चुनाव में मायावती ने 19 सीट हासिल की थी। और बसपा का प्रदर्शन 2007 के मुताबिक और अधिक खराब रहा।

 

इस पश्चिमी यूपी से अब चंद्रशेखर आजाद का उदय हुआ। जब सपा और भाजपा की लहर के बाद भी चंद्रशेखर ने की जीत हासिल कर ली। बताया जा रहा है कि मंगलवार कोई मायावती ने चुनाव पर मंथन किया, और उसी में नगीना सीट पर और चंद्रशेखर पर खास चर्चा हुई। पिछली बार नगीना सीट बसपा ने ही जीती थी। मायावती ने चंद्रशेखर की जीत और बसपा की हार कारणो के बारे में जानकारी मांगी है।

2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन 80 में से 79 पर कब्जा किया। और इन दोनों गठबंधनों को हराकर नगीना सीट चंद्रशेखर आजाद ने जीती है। उर्फ रावण , भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अपनी आजाद समाज पार्टी बनाया है। पहली पारी चुनाव मैदान में उतरकर बाजी मार ली है। चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी और भाजपा के प्रत्याशी को हराया ही नहीं बल्कि मायावती के बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी की जमानत तक जब्त कर ली। क्योंकि पिछली बार नगीना सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने कब्जा कर लिया था। जब मंगलवार को मायावती ने अपनी पार्टी की हर की समीक्षा की तो उसमें नगीना और चंद्रशेखर पर भी बात हुई। चंद्रशेखर को लेकर मायावती की चिंता बढ़ गई, चंद्रशेखर आजाद दलितों में आइकॉन की तरह उभरे हैं।

नगीना सीट से चंद्रशेखर आजाद ने 5 लाख 12 हजार 552 वोट हासिल की, और भाजपा के प्रत्याशी मनोज कुमार को 1 लाख 2 हजार 374 वोट हासिल कर सके। सबसे ज्यादा हालत खराब बसपा की हो गई।

 

शेखर आजाद का अपने दम पर चुनाव जीतना दलित राजनीति की नई शुरुआत रूप में देखा जा रहा है। बसपा अभी तक दलित वोट बैंक पर अधिकार जताती रही , लेकिन चंद्रशेखर की जीत को लेकर यूपी के वोट बैंक को लेकर नयी बहस छेड़ दी है।

यूपी के दलित राजनीति के दूरी बसपा के आसपास ही मानी जाती है। श्री काशीराम जी के बाद मायावती ने पार्टी की कमान संभाली। और उन्होंने पार्टी का पहला लोकसभा चुनाव बिजनौर सीट से वर्ष 1989 में जीती , सहारनपुर की एक सीट में मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा था। फिर धीरे-धीरे मायावती का ग्राफ पश्चिमी यूपी में बढ़ता गया। और वह चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनी। साल 2017 के चुनाव में मायावती ने 19 सीट हासिल की थी। और बसपा का प्रदर्शन 2007 के मुताबिक और अधिक खराब रहा।

  • इस पश्चिमी यूपी से अब चंद्रशेखर आजाद का उदय हुआ। जब सपा और भाजपा की लहर के बाद भी चंद्रशेखर ने की जीत हासिल कर ली। बताया जा रहा है कि मंगलवार कोई मायावती ने चुनाव पर मंथन किया, और उसी में नगीना सीट पर और चंद्रशेखर पर खास चर्चा हुई। पिछली बार नगीना सीट बसपा ने ही जीती थी। मायावती ने चंद्रशेखर की जीत और बसपा की हार कारणो के बारे में जानकारी मांगी है।

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