जगन्नाथ मंदिरजगन्नाथ मंदिर
Spread the love

जगन्नाथ मंदिर पुरी (ओडिशा) का रत्न भंडार यानी खजाना 46 वर्षों बाद एक बार फिर खोला गया है। यह ऐतिहासिक घटना 1978 के बाद 14 जुलाई 2024 को हुई है , इससे पहले 1982 और 1985 में भी रत्न भंडार खोला गया था, लेकिन तब केवल भगवान जगन्नाथ के विशेष आभूषण निकालने के लिए खोला गया था, पूरी गिनती नहीं हुई थी।

जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार की गिनती किसने की थी ?

रत्न भंडार की गणना के लिए ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में 11 सदस्यों की एक विशेष कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी में मंदिर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ भी शामिल थे। इस बार भंडार खोलने के लिए 1:28 बजे का शुभ मुहूर्त निकाला गया था और उसी समय इसे खोला गया।

पुरी का रत्न भंडार कैसा है ?

जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार मंदिर के उत्तरी भाग में स्थित है। इसका आकार भी खास है – लंबाई 8.79 मीटर, चौड़ाई 6.74 मीटर और ऊंचाई 11.78 मीटर है। इस भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के बहुमूल्य वस्त्र, आभूषण और चढ़ावे के बहुमूल्य रत्न-सामग्री रखे गए हैं। वर्षों से श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया सोना, चांदी, हीरे, मोती और अन्य आभूषण इसमें संरक्षित हैं।

भंडार में ज़हरीले सांपों की कहानी क्या है ?

रत्न भंडार को दो हिस्सों में बांटा गया है – बाहरी चेंबर (Outer Chamber)और भीतरी चेंबर (Inner Chamber) । बाहर वाले हिस्से से समय-समय पर पूजा में उपयोग होने वाले वस्त्र और आभूषण निकाले जाते हैं। लेकिन भीतरी चेंबर को दशकों से नहीं खोला गया है।

यहां एक लोककथा बहुत प्रसिद्ध है – माना जाता है कि भीतरी चेंबर में ज़हरीले सांप रहते हैं जो खजाने की रक्षा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस चेंबर को बिना विशेष अनुष्ठान और सुरक्षा के नहीं खोला जा सकता।

खजाने की चाबी किसके पास होती है ?

जगन्नाथ मंदिर के खजाने की चाबी मंदिर प्रशासन के पास सुरक्षित रहती है, लेकिन कई बार इसके खो जाने की खबरें भी आई हैं। भंडार खोलने की प्रक्रिया पूरी तरह सरकारी निगरानी और कड़ी सुरक्षा के बीच की जाती है।

जगन्नाथ मंदिर

साल 1978 के अनुसार खजाने में क्या-क्या है ?

जब 13 मई 1978 से लेकर 23 जुलाई 1978 तक रत्न भंडार की गिनती हुई थी, तब यह प्रक्रिया 70 दिनों तक चली थी। उस समय भंडार से 747 प्रकार के आभूषण, 12,883 तोला सोना, 22,153 तोला चांदी और बहुमूल्य हीरे-जवाहरात मिले थे। इस काम के लिए तिरुपति मंदिर समिति और अन्य विशेषज्ञों की मदद ली गई थी, फिर भी आभूषणों की सही कीमत नहीं लग पाई थी।

Alao Read : तक्षशिला : आचार्य चाणक्य के तांत्रिक नरभक्षी छात्र की रहस्यमयी गाथा !

खजाना कहां से आया था ? किसने लूटा और किसने दान दिया ?

जगन्नाथ मंदिर का खजाना मुख्य रूप से ओडिशा के राजाओं और राज्य परिवारों द्वारा दान किया गया था। कुछ आभूषण तो

युद्धों में जीते गए खजाने के रूप में मंदिर को समर्पित किए गए थे।

इतिहास में यह मंदिर 15वीं से 18वीं शताब्दी के बीच 15 बार आक्रमण का शिकार हुआ। साल 1721 में बंगाल के सेनापति मोहम्मद तकी खान ने मंदिर पर हमला किया था, लेकिन वह इस अमूल्य खजाने को लूट नहीं सका।

आखिर में कुछ :

जगन्नाथ पुरी का रत्न भंडार केवल खजाने का भंडार नहीं है, यह आस्था, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। इसे खोलना सिर्फ गिनती नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी और विश्वास की परीक्षा भी है। 46 साल बाद इसे जुलाई 2024 में खोला गया था । ख़ज़ाने की नई जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं है ।

यह लेख आप www.dsrinspiration.com पर पढ़ रहे हैं । DSR Inspiration एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है। आप हमसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम एवं टेलीग्राम पर भी जुड़ सकते हैं।

Spread the loveजगन्नाथ मंदिर पुरी (ओडिशा) का रत्न भंडार यानी खजाना 46 वर्षों बाद एक बार फिर खोला गया है। यह ऐतिहासिक घटना 1978 के बाद 14 जुलाई 2024 को हुई है , इससे पहले 1982 और 1985 में भी रत्न भंडार खोला गया था, लेकिन तब केवल भगवान जगन्नाथ के विशेष आभूषण निकालने के…

induslnd bank

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *