2 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में एक अलग स्थान रखता है , 2 अक्टूबर को हर साल गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है यह दिन नए केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस, के रूप में मान्यता दी है। महात्मा गांधी जी को हम प्यार और सम्मान के साथ ‘राष्ट्रपिता और बापू,,के नाम से जानते हैं जिन्होंने अहिंसा के बल पर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है।
गांधी जी का जीवन सरलता सच्चाई और अनुशासन का प्रतीक था उनके लिए सत्य और अहिंसा केवल एक विचार नहीं था बल्कि जीवन जीने का एक तरीका था उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा के बजाए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही किया जा सकता है इसी विचारधारा को उन्होंने सत्याग्रह का नाम दिया जिसका अर्थ है सत्य की शक्ति से अन्याय का विरोध करना।
महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ा एक किस्सा आपको बताते है…………
एक बार गांधी जी के पास एक मां अपने बेटे को लेकर आई और उनसे कहा” बापू मेरा बेटा बहुत ज्यादा गुड खाता है । आप इसे मना करें, क्योंकि यह आपकी बात जरूर मानेगा ,,
गांधी जी ने उसे मां से कहा,” आप इसे तीन दिन बाद फिर से मेरे पास लाए ।
मां हैरान थी कि बापू ने उसे तुरंत मना करने के बजाय तीन दिन का समय क्यों दिया, लेकिन उसने गांधी जी की बात मान ली और तीन दिन बाद अपने बेटे को फिर से लेकर आई।
तीसरे दिन गांधी जी ने लड़के को अपने पास बुलाया और कहा,, “बेटा गुड खाना छोड़ दो, गुड खाना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है । यह सुनकर लड़के ने तुरंत मान लिया “और मां भी खुश हो गई । लेकिन मां ने गांधी जी से पूछा, ” बापू, आपने यह बात तीन दिन पहले क्यों नहीं कही ?
गांधी जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ” मैं पहले खुद भी गुड खाता था, इसलिए मैं इसे उस समय मना करने का अधिकार नहीं रखता था। इन तीन दिनों में मैंने खुद गुड खाना बंद किया, ताकि मैं तुम्हारे बेटे को यह सलाह दे सकूं,,
महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े इस छोटे से किसी से हमें यह सीखने को मिलता है कि गांधी जी केवल बातों से ही नहीं बल्कि अपने कर्मों से भी लोगों को सिखाते थे ,वह मानते थे कि अगर हमें किसी और को कोई सलाह देनी है तो सबसे पहले हमें खुद उस सलाह पर अमल करना चाहिए। यह उनके व्यक्तित्व और ईमानदारी का प्रतीक है।
सत्याग्रह और स्वतंत्रता संग्राम …..…
गांधी जी ने अपने जीवन में अनेक आंदोलन किये महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में सबसे बड़ा योगदान उनका सत्याग्रह, आंदोलन था। उन्होंने 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए रोलेट एक्ट के विरोध में पहला बड़ा सत्याग्रह आंदोलन चलाए जिसे ब्रिटिश हुकूमत को हिला कर रख दिया इसके बाद असहयोग आंदोलन दांडी यात्रा और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे बड़े आंदोलन के जरिए गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को एकजुट किया और स्वतंत्रता की लड़ाई को मजबूत किया।
दांडी यात्रा : नमक सत्याग्रह ……..
महात्मा गांधी द्वारा चलाई गई आंदोलन में से 1930 की दांडी यात्रा सबसे ऐतिहासिक थी यह यात्रा अंग्रेजों के नमक कानून के खिलाफ थी जिसमें भारतीयों को नमक बनाने और बेचने पर प्रतिबंध था गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मिल की यात्रा की और अपने अनुयायियों के साथ समुद्र किनारे जाकर नमक बनकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया यह यात्रा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और नमक सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि अन्य का विरोध अहिंसा के साथ भी किया जा सकता है, और जीता जा सकता है।
आखिर में कुछ………
महात्मा गांधी जी केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नहीं थे,बल्कि वह एक विचारधारा के प्रतीक थे उनके सिद्धांत आज भी हमें नैतिकता मानवता और न्याय की मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं उनके विचारों ने न केवल भारत को आजादी दिलाई बल्कि दुनिया में शांति और अहिंसा के आंदोलन को प्रेरित किया।
गांधी जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं आने वाली पीढियां के लिए एक अमूल्य धरोहर है।
जय हिन्द