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कितने तापमान तक जिंदा रहा सकता है इंसान, भीषण गर्मी में खुद को कैसे ठंडा रखता है हमारा शरीर। - Dsr Inspiration

कितने तापमान तक जिंदा रहा सकता है इंसान, भीषण गर्मी में खुद को कैसे ठंडा रखता है हमारा शरीर।

कितने तापमान तक जिंदा रहा सकता है इंसान, भीषण गर्मी में खुद को कैसे ठंडा रखता है हमारा शरीर।गर्मियों के मौसम में हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों से सूचना आती है कि हीट स्ट्रोक या हीट वेव के कारण कुछ लोगों की मौत हो गई। देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी 2023 में पारा तेजी से चढ़ा फिर बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार यानी 26 मई को दिल्ली में 36 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। क्या आपने कभी सोचा है। इंसान ज्यादा से ज्यादा कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है। और शरीफ खुद को भीषण गर्मी के खिलाफ ठंडा रखने के लिए क्या करता है‌। आखिर इतनी गर्मी में इंसान जिंदा कैसे रह जाता है कि तापमान पर इंसान के लिए संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। तो चलिए जानते हैं।
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गर्मियों के मौसम में हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों से सूचना आती है कि हीट स्ट्रोक या हीट वेव के कारण कुछ लोगों की मौत हो गई। देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी 2023 में पारा तेजी से चढ़ा फिर बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार यानी 26 मई को दिल्ली में 36 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। क्या आपने कभी सोचा है। इंसान ज्यादा से ज्यादा कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है। और शरीफ खुद को भीषण गर्मी के खिलाफ ठंडा रखने के लिए क्या करता है‌। आखिर इतनी गर्मी में इंसान जिंदा कैसे रह जाता है कि तापमान पर इंसान के लिए संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। तो चलिए जानते हैं।

कितना तापमान होता है सहन।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसानी शैली का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। यह भारी तापमान के 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है। विज्ञान कहता है कि इंसान अधिकतम तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस तक आसानी से रह सकता हैं। कुछ अध्ययनों के मुताबिक इंसान गर्म रक्त वाला स्तनधारी जीव है। इंसान के पास एक खास किस्म का तंत्र होमियोस्टेसिस से से संरक्षित रहता है। इस प्रक्रिया के जरिए इंसानी दिमाग हाइपोथेलमस से शरीर के तापमान को जिंदा रखने की सीमा में बनाए रखने के लिए ऑटो कंट्रोल्ड होता है।

कितना तापमान बर्दाश्त से बाहर।

लंदन के स्कूल हाफ हाइजीन की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में 2050 तक गर्मी से होने वाली मौतों में 257 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंसानी शरीर 35 से 37 डिग्री तक का अधिकतम तापमान बिना दिक्कत के बर्दाश्त कर लेता है। वही तापमान 40 डिग्री से ज्यादा होने लगता है ‌। तो इंसानों को परेशानी होने लगती है। अध्ययनों के मुताबिक इंसानों के लिए 50 डिग्री का अधिकतम तापमान बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है। वहीं इससे ज्यादा तापमान सामान्य व्यक्ति के लिए जिंदगी का जोखिम पैदा कर देता है। मेडिकल जर्नल लैसेट हैं की रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 और 2017 21 के बीच 8 साल के दौरान भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप रहा। इस दौरान भारत में गर्मी से मौत के मामले में फ़ीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

कब गर्मी से हो जाती है मौत।

इंसानी शरीर पर बढ़ते तापमान के असर के बारे में बात करते हुए डॉक्टर और शोधकर्ता अक्सर हीट स्ट्रोक शब्द का इस्तेमाल करते जब हमारा शरीर बेहद गर्मी में होता है तो वह अपने कर तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है । वातावरण और शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है कि शरीर अपने कोर्ट तापमान को बनाए रखने की कोशिश किस हद तक कर पता है इसमें हमें थकान महसूस होती है स्वास्थ्य शब्दों का कहना है कि अगर पर 45 डिग्री हो तो बेहोशी चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर कम होना आम शिकायते है। मैं अगर आप 48 से 50 डिग्री है उससे ज्यादा तापमान में बहुत देर रह जाते हैं तो मांसपेशियों पूरी तरह से जवाब देने लगती है और मौत हो सकती है।

 

कैसे खुद को ठंडा रखता है हमारा शरीर।

क्लीनिकल शोधों के मुताबिक, भारी तापमान बढ़ने पर शरीर खास तरीके से प्रतिक्रिया करता है दरअसल शरीर का 70% से ज्यादा हिस्सा पानी से बना है दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हमारे शरीर में मौजूद पानी के बढ़ता तापमान में शरीर का कोर तापमान स्तर बनाए रखने के लिए गर्मी से लड़ता है। इस प्रक्रिया में हमें पसीना आता है इससे शरीर ठंडा रहता है। अगर शरीर ज्यादा देर तक इस प्रक्रिया से गुजरता है तो पानी की कमी होने लगती है पानी की कमी होने पर किसी को चक्कर आने लगते हैं तो किसी को सर दर्द होता है कुछ लोग बेहोश भी हो सकते हैं। असल में पानी की कमी से सांस की प्रक्रिया पर असर पड़ता है ऐसे में ब्लड फ्लो बनाए रखने के लिए दिल पर फेफड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ता है इससे रक्त ताप पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है।

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