कर्ज का जालकर्ज का जाल
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कर्ज की बढ़ती समस्या :

कर्ज आज के समय की एक ऐसी समस्या बन गयी है कि शायद ही कोई व्यक्ति इससे बच सका हो । एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 60 % लोग आज किसी न किसी तरह के कर्ज में फंसे हुए हैं । जैसे ही नौजवानों की नौकरी लगती है तो वह कर्ज लेकर लग जाते हैं अपने सपने पूरे करने में जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए, PWC की रिपोर्ट के अनुसार भारत में क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2028 से 29 तक लगभग 200 मिलियन तक हो जाएगी जो कि अभी 2025 में लगभग 100 मिलियन है। आइये आपको सच्च से रूबरू कराते हैं।

कर्ज का जाल

कहानी कर्ज में फंसे राजेश की

“ये कहानी है राजेश की, जो एक मिडिल क्लास नौजवान है। राजेश ने अपने करियर की शुरुआत 3 साल पहले ही की है। राजेश की शादी हो चुकी है और 2 बच्चे भी है। और साथ में रहते हैं उसके बुढ़े माता-पिता। राजेश के परिवार को राजेश से बहुत उम्मीदें है और राजेश भी उन सपनों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करता है और खुश है।

राजेश एक कंपनी में मैनेजर है महीने के सभी खर्च निकालकर कुछ पैसे बच भी जाते हैं
राजेश के मन में एक ही सपना है अपने परिवार को एक बेहतर ज़िन्दगी देना।

कुछ दिनों के बाद राजेश होम लोन लेकर एक अच्छी कॉलोनी में नया मकान खरीद लेता है।
नया मकान लेकर सभी बहुत खुश हैं । इसके चलते समाज, और रिश्तेदारों में उनका कुछ नाम हो गया है
राजेश ऑफिस अपनी बाइक से जाता है । लेकिन उसके स्टाफ के कुछ जूनियर साथी गाड़ी से आ जाते हैं । यह देखकर राजेश को लगा कि मुझे भी एक कार ले लेनी चाहिए। क्योंकि ऐसे अच्छा नहीं लगता कि मेरे जूनियर गाड़ी से आए और मैं बाईक से।
अब क्या था अगली छुट्टी पर राजेश एक नई कार खरीद लेता है।
अब राजेश की खुशी का ठिकाना नहीं था , क्योंकि उसके पास नया घर हो गया और आज एक नई चमचमाती कार जो घर आ गयी, अब समाज और रिश्तेदारों में राजेश का नाम हो गया था सब राजेश की कामयाबी के उदाहरण अपने बच्चों को देने लगे थे। ऐसा हमारे यहां आम बात है ।
अब इसी के साथ राजेश के दो लोन हो गए और उनकी किस्त भी जाने लगी। अब धीरे-धीरे घर के खर्च भी बढ़ने लगे इन सभी जरूरतो को पूरा करने के लिए राजेश क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करता है।
लेकिन राजेश को नहीं पता था कि आगे चलकर वह एक बड़े जाल में फसने वाला है। क्योंकि सब कुछ सही चल रहा था ,
अब राजेश अपने रोजाना के खर्च क्रेडिट कार्ड से करता है जैसे इलेक्ट्रिसिटी बिल मेडिकल एक्सपेंसिस, शॉपिंग और बाकी के सभी। धीरे-धीरे समय बितता है, और राजेश को अपने ऊपर कर्ज होने का आभास होने लगता है
उसके ऊपर बैंक का लोन है, क्रेडिट कार्ड का बकाया है, और घर के नए खर्चे जो रोज़ सामने आ रहे हैं। अब राजेश एक कर्ज को चूकाने के लिए दूसरा कर्ज लेने लगता है , एक नया लोन लेने के बाद कुछ समय के लिए राहत मिलती है, लेकिन उसी स्थिति में राजेश फिर से आ जाता है, जो की स्वाभाविक बात है।

अब जैसे-जैसे कर्ज बढ़ रहा है तो उस कर्ज का ब्याज भी बढ़ रहा है खासकर क्रेडिट कार्ड का क्योंकि राजेश को एक और आदत लग गई है , जोकि क्रेडिट कार्ड पर EMI कराने की है और अब राजेश को क्रेडिट कार्ड का बिल और लोन की EMI ये सभी अपनी सैलरी से चुकाना मुश्किल लगने लगता है।

अब राजेश बड़ा परेशान रहने लगा। बस राजेश दिन रात एक ही बात सोचने लगा है कि मुझे कुछ भी करके इस कर्ज से बाहर निकलना है ।
फिर उसके मन में विचार आता है कि मैं एक नया लोन लेकर इन सब को चुका दूंगा और इससे बाहर निकल जाऊंगा। लेकिन कर्ज अधिक होने पर अब बैंक भी राजेश को लोन देने से मना कर देता है।
अब राजेश एनबीएफसी और प्राइवेट फाइनेंसर का ऑप्शन चुनता है , आखिर राजेश को लोन तो मिल जाता है लेकिन उसका ब्याज बैंक की तुलना में काफी अधिक है, जिससे उसकी EMI भी बढ़ जाती है. लेकिन इस लोन से भी राजेश का पिछला कर्ज पूरा नहीं हो पाता। और अब राजेश एक और नया कर्ज लेने के बाद अधिक डिप्रेशन में चला गया । राजेश अपने परिवार में इसके बारे में किसी से बात भी नहीं करता है क्योंकि वह सोचता है कि मैं अकेला ही इससे निपट लूंगा।

अब राजेश की ज़िन्दगी बस कर्ज़ चुकाने में ही उलझकर रह गयी है। उसका मन चिड़चिड़ा रहने लगा यह रंग बिरंगी दुनिया उसकी आंखों में चुभने लगी है ।
अब राजेश अपने परिवार से दूर होता जा रहा है। हर महीने मिलने वाली सैलरी की खुशी मानो खत्म सी हो गई है । क्योंकि सैलरी आते ही सभी लोन EMI और क्रेडिट कार्ड बिल में चली जाती है, राजेश को घर का खर्चा चलाने के लिए भी अलग से सोचना पड़ता है।

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राजेश खुद को इस कर्ज के दलदल से बाहर निकालने की नाकाम कोशिश कर रहा है । एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी राजेश के परिवार में कल्पना भी नहीं की होगी। ऑफिस से आते वक्त राजेश ने सुसाइड करने की कोशिश की लेकिन वह तो भला हो कुछ लोगों ने राजेश को देख लिया और उसे सही सलामत उनके घर ले आए। लाख पूछने पर राजेश ने अपने पिता से सब कह सुनाया। राजेश के पिता जीवन के अनुभवी व्यक्ति है। उन्होंने राजेश को समझाया और दोबारा से जीवन जीने की हिम्मत दी। और अपने एक फाइनेंस एक्सपर्ट मित्र से मिलकर इस कर्ज की समस्या से निजात पाई।

वैसे यहां राजेश सिर्फ एक किरदार है । यह कहानी है उन लाखों नौजवानों की जो इस कर्ज की दलदल में फंसे हुए हैं, जो दिन प्रतिदिन डूबते जा रहे हैं । और एक दुख भरा जीवन काट रहे हैं । कहीं आप भी उनमें से एक तो नहीं ?

निष्कर्ष

दोस्तों यह सिर्फ‌ एक कहानी नहीं है, हमारी टीम ने रिसर्च के बाद यह पाया है कि आज नौजवान साथी अपने करियर की शुरुआत में ही कर्ज लेकर अपने सपनो को पूरा करने के चक्कर में कर्ज के इस चाल में फंसते जा रहे हैं, जिसका नतीजा भयानक होता है , समय रहते संभल जाए और अपनी आय के अनुसार जीवन जीए साधारण जीवन जिए, दिखावे के जीवन से बाहर निकले।

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By Mr. Sandeep Rana

नमस्कार दोस्तों ! मै संदीप राना !  लेखक बस शब्दों से नहीं, विचारों से बात करता है। राजनीति, फाइनेंस ,इतिहास, और जीवन के हर कोने से जुड़े मुद्दों पर लिखना मुझे पसंद है। मेरा मकसद है जटिल बातों को आसान भाषा में आप तक पहुंचाना, ताकि पढ़ते-पढ़ते आप सिर्फ समझें नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर हो जाएं। 7 साल का वित्तीय अनुभव और जीवन की गहरी समझ ने मुझे चीजों को एक अलग नजरिए से देखने की आदत दी है। DSR Inspiration के ज़रिए मैं बस यही चाहता हूं कि हम मिलकर उन विषयों पर बात करें जो सच में मायने रखते हैं। अगर आप भी नए विचारों से रूबरू होना चाहते हैं, तो जुड़े रहे हमारे साथ। 😊 धन्यवाद् 

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