आचार्य चाणक्य का शिष्य क्यों बना नरभक्षी

चाणक्य का एक नरभक्षी शिष्य।

आज के इस लेख में हम चाणक्य के एक ऐसे शिष्य के बारे में बात करेंगे जो तक्षशिला से शिक्षा प्राप्त कर नरभक्षी बन गया ।

 

तक्षशिला में एक बालक शिक्षा ग्रहण करता था जिसका नाम था वीरभद्र जो पढ़ाई में सभी बच्चों से बिल्कुल अलग था उसके सिर पर पढ़ाई का जुनून सवार था इसी के चलते आचार्य चाणक्य और तक्षशिला के आचार्य वीरभद्र से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे विद्यालय का समय पूरा होने के बाद भी वीरभद्र पुस्तकालय में अध्ययन करता रहता वीरभद्र प्रत्येक परीक्षा में अव्वल आता था तो फिर ऐसा क्या हुआ जो वीरभद्र इतना बुद्धिमान होने के बावजूद भी एक नरभक्षी बन गया वीरभद्र चाहता था कि वह अथाह ज्ञान का समुद्र अपने अंदर भर लें जो की अच्छी बात थी तक्षशिला में शिक्षा प्राप्त करते करते वीरभद्र को तक्षशिला के अंदर बने एक गुप्त पुस्तकालय के बारे में पता चला उस पुस्तकालय मैं कुलपति एवं आचर्य गणों को ही जाने की अनुमति थी। जिसकी अनुमति तक्षशिला के कुलपति द्वारा दी जाती थी। वीरभद्र ने गुप्त पुस्तकालय में जाने की कुलपति से अनुमति मांगी जिसके लिए उसे मना कर दिया गया लेकिन वीरभद्र अपनी जिद पर अड़ा रहा, और गुप्त पुस्तकालय में छिपकर जाने की कोशिश करने लगा । तीसरी बार गुप्त पुस्तकालय में छुपकर जाते हुए वीरभद्र पकड़ा गया जिसके बाद वीरभद्र को तक्षशिला से निष्कासित कर दिया गया।इसके बाद उसने तक्षशिला का विनाश करने की ठान ली।

अब वीरभद्र की जिंदगी का मकसद सिर्फ।ज्ञान प्राप्त करते। ज्ञान प्राप्त करके एक विद्वान बनना नहीं रह गया था, बल्कि तांत्रिक शक्तियाे को इकट्ठा कर एक शक्तिशाली नरभक्षी बन कर तक्षशिला का विनाश करना था। और यह सोचकर वीरभद्र जंगलों में जाकर नरभक्षियों के बीच रहने लगा। नरभक्षियों के बीच रहते रहते वीरभद्र ने नरभक्षी बनने के साथ साथ तक्षशिला के उस गुप्त पुस्तकालय में जाने का विचार अपने मन से नहीं त्यागा । और कुछ नरभक्षियों के साथ मिल कर एक सुरंग खोद डाली। जो तक्षशिला के गुप्त पुस्तकालय में पहुँच गई। पुस्तकालयों को देखकर वीरभद्र के होश उड़ गए। वहाँ उसने देखा कि पूरा पुस्तकालय भरा पूरा हुआ था। वहाँ तंत्र विद्या के अलावा अनेक विषयो की किताबें थी, जिनमें उन विषयों के बारे में विचित्र जानकारी दी गई थी। वहाँ की एक एक किताब अपने आप में ज्ञान का समुद्र थी।

अब वीरभद्र अपनी तंत्र शक्ति बढ़ाने के लिए उस पुस्तकालय में आने लगा और कुछ ही समय में वीरभद्र बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हो गया। वीरभद्र ने नरभक्षी बनने के साथ विद्याओं में भी महारत हासिल की और वीरभद्र नरभक्षियों का सरदार अघोरनाथ बन गया। समय के साथ साथ अघोरनाथ ने इतनी तंत्र शक्ति इकट्ठा कर ली थी कि कोई भी उसके सामने टिक नहीं सकता था। अघोरनाथ एक विशालकाय नरभक्षी जैसा दिखता था। उसकी शक्ति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं। कि उस पर अग्नि में प्रवेश करने के बाद भी कोई असर नहीं होता था।

वह सिर्फ एक साधारण नररभक्षी नहीं था।
दोस्तों ये जानकारी थी तक्षशिला के विधार्थी ( वीरभद्र) अघोरनाथ के नरभक्षी बनने की।

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