अगर कोई वकील क्लाइंट को धोखा दे तो क्या करना चाहिए
कई बार क्लाइंट अपने ही वकीलों से धोखा खा जाता है
कई बार विरोधी पक्ष तय किए गए वकील के गरीबी रिश्तेदार हो सकते हैं ऐसे में क्लाइंट को या जानना जरूरी है कि वकील के क्या दायित्व है |
एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 49 1 (c) में यह जिक्र है कि वकीलों को किन नियमों का पालन करना चाहिए |
पूरी बात बताना वकील की जावेदारी है अन्यथा इससे फैसला प्रभावित हो सकते हैं |
कुछ मामलों में वकील दूसरे पक्ष से संबंधित होते हैं |
ऐसे ही एक मामला आया था जिसमें वकील के पास शिकायत लेकर आई महिला की सास वकील की मौसी थी ऐसे में वकील ने बहु को पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी हल्की उन्हें अपने मौसी के प्रति भी दुख था।
क्लाइंट के लिए वकील का क्या दायित्व होता है |
उन्हें पूरा मामला और जानकारी सुनना होती है ।
वे सेवा से मुकर नहीं सकते ।
वे तब स्वयं पेश नहीं हो सकते जिसमें वह गवाह है ।
क्लाइंट को बात पूरी वह दो टूक बताना ।
क्लाइंट का हित पहले ।
अदालत में किसी क्लाइंट का पक्ष रखते हुए वकील का निरपेक्ष होना जरूरी है ताकि मामला पक्ष में जाने पर भी उसे कोई प्रभावित न कर सके ।
किसी भी स्थिति में कोई गवाह या सामग्री नहीं छिपाएंगे ।
क्लाइंट और अपनी बातें जाहिर न करें ।
यही है ताला के मामले में कोई जानकारियां इतनी व्यक्तिगत होती है कि उसे जाए करना गरिमा पर चोट को जानने जैसा होता है वकील जो भी सलात लाइट को दे रहा है तो उसे किसी और को जाए नहीं करेगा यदि वह इसका उल्लंघन करता है तो भारतीय गवाह कानून 1872 के तहत वह भी जिम्मेदार माना जाएगा ।
वकील अदालत की लड़ाई को अनावश्यक रूप से खींचते रहते हैं कई बार दोनों पक्ष मामले को हल करना चाहते हैं लेकिन वकील मामले को आगे बढ़ाने के लिए जोर देते रहते हैं यह ठीक है नहीं माना जा सकता ।
कोई भी वकील क्लाइंट को छोड़कर किसी अन्य के निर्देश पर काम नहीं कर सकता ना ही क्लाइंट के अधिकृत व्यक्ति के निर्देश पर ।
भक्ति संबंधी मामले है तो वकील संपत्ति में रस अंग्रेज तो फिर श्रीमान सकता यह बार कॉउंसिल द्वारा अनुमति प्राप्त नहीं है ।
किसी संपत्ति के मामले में वह उक्त संपत्ति खरीदने या उसकी बोली भी नहीं लग सकता ।
अलावा हस्तांतरण की कवायद भी नहीं कर सकता ।
किसी क्लाइंट द्वारा जारी की गई जानकारी का वकील मामले के बाद भी दुरुपयोग नहीं कर सकता यह पेशे गत गरिमा के अनुकूल नहीं है ।
याचिका लगाने या फिर अदालत में मामला दायर करने की जानकारी होना आज की सामाजिक और कानूनी जरूरत है देश में अदालतों में मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं बहुत छोटे मामलों में वकील की जरूरत पड़ सकती है ऐसे में मामला या चिक दायर करने वाले को या मालूम होना चाहिए कि उसे क्या उसके क्या अधिकार है मुक्त मामले से उसे किस हद तक लाभ हो सकेगा मूल स्रोत है ।
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